कोलकाता, 28 फरवरी । पश्चिम बंगाल में इस साल राज्य बोर्ड की उच्च माध्यमिक परीक्षा में बैठने वाली छात्राओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या छात्राओं में इस परीक्षा को लेकर रुचि कम हो रही है?

यह सवाल इसलिए भी अहम हो गया है क्योंकि इस साल पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीसीएचएसई) द्वारा मार्च में आयोजित होने वाली “उच्च माध्यमिक” परीक्षा में बैठने वाली छात्राओं की संख्या पिछले साल पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीएसई) द्वारा आयोजित “माध्यमिक” परीक्षा में शामिल छात्राओं की तुलना में काफी कम है।

राज्य शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में माध्यमिक परीक्षा में तीन लाख 42 हजार 902 छात्राएं शामिल हुई थीं लेकिन इस साल मार्च में होने वाली उच्च माध्यमिक परीक्षा में केवल दो लाख 77 हजार 992 छात्राएं ही पंजीकृत हैं। यानी 64 हजार 910 छात्राओं ने पढाई छोड़ दी है।

इसका मतलब है कि 2023 की माध्यमिक परीक्षा में शामिल छात्राओं की तुलना में इस साल उच्च माध्यमिक परीक्षा में बैठने वाली छात्राओं की संख्या 19 प्रतिशत कम हो गई है।

इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारणों में से एक छात्राओं का स्कूल छोड़ना बताया जा रहा है। कुछ छात्राएं अन्य बोर्ड में चली गई होंगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी संख्या में लड़कियां माध्यमिक के बाद पढ़ाई छोड़ रही हैं।

इसका संकेत “कन्याश्री” योजना के आंकड़ों से भी मिलता है। यह योजना राज्य सरकार द्वारा छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चलाई जाती है, जिसमें हर महीने हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है।

2023-24 शैक्षणिक वर्ष में इस योजना के तहत 20.69 लाख छात्राओं को मासिक भत्ता मिल रहा था। लेकिन 2024-25 का शैक्षणिक वर्ष खत्म होने में महज एक महीना बचा है और अब तक इस योजना के लाभार्थियों की संख्या घटकर केवल 15.75 लाख रह गई है।

राज्य सरकार ने 2025-26 के बजट में उच्च शिक्षा के लिए मामूली वृद्धि की है। इस बार उच्च शिक्षा के लिए 6,593.58 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है, जो 2024-25 के 6,401.11 करोड़ रुपये से थोड़ा ही अधिक है।

राज्य में लड़कियों की शिक्षा को लेकर ये आंकड़े चिंताजनक हैं और यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में छात्राएं माध्यमिक के बाद पढ़ाई क्यों छोड़ रही हैं?