
कोलकाता, 21 मार्च । पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित स्कूल भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपितों में से एक सुजॉय कृष्ण भद्र ने अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें पिछले महीने चिकित्सा आधार पर न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रॉय की खंडपीठ ने अंतरिम जमानत दी थी, जो 31 मार्च को समाप्त हो रही है। अब जमानत अवधि खत्म होने में केवल दस दिन शेष हैं, जिसके चलते भद्र ने उसी खंडपीठ में जमानत बढ़ाने की याचिका दायर की है।
इस मामले की सुनवाई 24 मार्च को होगी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) इस याचिका का विरोध करेगा या नहीं। सूत्रों के अनुसार, अदालत में भद्र के वकील द्वारा रखे गए तर्कों और उनके नवीनतम चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
भद्र फिलहाल जमानत पर बाहर हैं, लेकिन अदालत द्वारा लगाई गई सख्त शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। सीबीआई अधिकारियों की निगरानी में उनके सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्हें केवल उन्हीं लोगों से मिलने की अनुमति है जो उनके इलाज से जुड़े हैं। खासतौर पर, उन्हें किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से मिलने की सख्त मनाही है।
इसके अलावा, भद्र को अपने दोनों मोबाइल फोन हर समय चालू और उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर सीबीआई अधिकारी उनसे संपर्क कर सकें।
इस घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है, और मामले की सुनवाई कोलकाता में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में पिछले महीने से शुरू हो चुकी है। इस मामले में भद्र के अलावा पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी भी आरोपी हैं।
ईडी द्वारा दाखिल चार्जशीट में बाबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट का नाम भी आरोपी के रूप में दर्ज किया गया है। यह ट्रस्ट पार्थ चटर्जी की दिवंगत पत्नी के नाम पर है, और आरोप है कि घोटाले की अवैध रकम को इस ट्रस्ट को चंदे के रूप में दिखाकर डायवर्ट किया गया।