
कोलकाता, 21 जुलाई । राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा आयोजित मासिक काव्यगोष्ठी “आया सावन झूम के” सोमवार को कोलकाता के प्रतिष्ठित बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय में उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कृष्णानंद मिश्र उपस्थित रहे। संचालन संस्था के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष रामनाथ ‘बेखबर’ ने किया।
गोष्ठी की शुरुआत कवयित्री हिमाद्रि मिश्र द्वारा सुमधुर स्वर में प्रस्तुत शब्दवीणा गीत से हुई, जिसने वातावरण को भावपूर्ण बना दिया। इसके बाद कवि रामनाथ ‘बेखबर’ की ग़ज़ल “यादों की भूल-भुलैया है, सावन का मस्त महीना है” पर श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो उठे।
वरिष्ठ कवि रामपुकार सिंह की पंक्तियां “कोई गाता है कजरी, तो कोई मल्हार सावन में। वहीं, कोयल भी कुहुके बैठ कोई डार सावन में”, कवयित्री हिमाद्रि मिश्र की “जटा से गंगधार जो बह रही निनाद कर”, रंजना झा की “वह कैलाशी, घट-घट वासी, मेरे मन के भी अंदर है”, ऊषा जैन की “अब न सावन हमें लुभाता है, याद बचपन की जो साथ लाता है”, तथा रीमा पांडेय की “सुनो यारा मचलते हैं, मेरे जज्बात सावन में” रचनाओं को खूब सराहना मिली।
गोष्ठी में प्रस्तुत अन्य प्रमुख रचनाओं में देवेश मिश्र की “भारत मां का बेटा हूं मैं शौर्य सुनाने आया हूं”, रामाकांत सिन्हा की “चांदनी रात में बरसात बुरी लगती है”, हीरालाल साव की “आदमी, आदमी की जात से, आदमी मर जाता है संघात से”, रूपेश कुमार साव की “सपने कैद हो गये हैं अपनों के बाजार में”, और अमित कुमार अम्बष्ट की “जब जिंदगी की तलाश में खुद ही गुम हो जाता है आदमी” शामिल थीं।
इस अवसर पर आलोक चौधरी ने महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त की पुण्यतिथि पर विशेष रचना प्रस्तुत की। गोष्ठी में मनोज मिश्र, राहुल प्रसाद बारी, पीयूष झा, दीपचंद सोनकर, फनी भूषण, अरुण सिंह, विनोद यादव और अर्चित यादव सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा के केन्द्रीय पेज से किया गया, जिसे डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, वंदना चौधरी, महावीर सिंह ‘वीर’, डॉ. रवि प्रकाश, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, पी. के. मोहन, अजय कुमार, अनंग पाल सिंह भदौरिया, दीपक कुमार, अरुण अपेक्षित, प्रो. सुनील कुमार उपाध्याय, डॉ. विजय शंकर सहित अनेक साहित्यप्रेमियों ने देखा और रचनाकारों का उत्साह बढ़ाया।