नई दिल्ली, 28 सितंबर । बत्रा हार्ट एंड मल्टीस्पिशयलिटी ग्रुप, फरीदाबाद ने समय पर और तत्परता से इलाज के जरिए पिछले एक साल में हृदयाघात से भर्ती सभी 110 मरीजों की जान बचा कर शून्य मृत्युदर का कीर्तिमान बनाया है। इन मरीजों में ज्यादातर वे थे जिन्हें गंभीर रूप से दिल का दौरा पड़ा था या हृदय संबंधी गंभीर समस्याएं थीं।
यह जानकारी विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर हास्पिटल में आयोजित कार्यक्रम में कार्डियक साइंसेज के निदेशक और अध्यक्ष डॉ. पंकज बत्रा ने दी। उन्होंने कहा, “पिछले साल भर में हमारे पास हृदय रोगों और हृदयाघात के 110 मरीज आए और विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा उनके सफलतापूर्वक इलाज से उन्हें जीवनदान मिला। इस कार्यक्रम में उपस्थित अधिकांश मरीजों को गंभीर रूप से दिल के दौरे पड़े थे और उनकी धमनियों में शत प्रतिशत ब्लॉकेज था।”
इस कार्यक्रम में कश्मीर से लेकर केरल तक के 55 से 85 वर्ष की आयु के मरीजों ने बत्रा हार्ट एंड मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल, फरीदाबाद में नया जीवन पाने के अपने अनुभवों को साझा किया। दिल्ली के अधेड़ आयु के एक मरीज डेविड ने बताया कि किन हालात में वे इस अस्पताल पहुंचे और किस तरह डॉ. पंकज की तत्परता से उनका जीवन बच पाया।
ज्यादातर मरीजों ने छुट्टियों में भी गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को आपात चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने की बत्रा हास्पिटल की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए उम्मीद जताई कि यह रविवार और छुट्टियों के दिन भी खुला रहेगा। डॉ. पंकज ने कहा, “शून्य मृत्युदर हमारी टीम के समर्पण और उनकी विशेषज्ञता का प्रमाण है। हमने आपातकालीन चिकित्सा जिसे ‘डोर बैलून टाइम’ कहते हैं और जहां मरीज की जान बचाने के लिए 30 मिनट से भी कम का समय मिलता है, में अपनी विशेषज्ञता से नए मानदंड स्थापित करते हुए इसे एक जीवनरक्षक प्रारूप बनाया है।”
इस मौके पर बत्रा हर्ट एंड मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल, फरीदाबाद के अध्यक्ष रमेश कुमार बत्रा ने डॉ. पंकज की किताब ‘प्रीवेंशन ऑफ हर्ट डिजीज’ का लोकार्पण किया। हृदय की बीमारियों से बचाव के लिए जीवनशैली में सुधार की जरूरत की चर्चा करते हुए डॉ. पंकज ने नियमित व्यायाम, टहलने, तनाव मुक्त रहने, धूम्रपान नहीं करने और ब्लड प्रेशर एवं मधुमेह पर नजर रखते हुए समय-समय पर चिकित्सा जांच कराते रहने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, “चिकित्सा विज्ञान में तमाम अविष्कारों के बावजूद 2019 के आंकड़े बताते हैं कि हृदय संबंधी बीमारियों से दुनिया में 1.80 करोड़ लोगों की मौत हुई जिसमें 58 प्रतिशत लोग एशिया के थे। इसकी बड़ी वजह अनियमित नींद, मोबाइल का लगातार इस्तेमाल, जंक फूड और धूम्रपान है।”