कोलकाता, 04 मार्च । फरक्का बैराज का दौरा करने पहुंचे भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग के बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल ने गंगा-पद्मा जल बंटवारे को लेकर अहम बयान दिया है। लंबे समय से गर्मी के मौसम में फरक्का बैराज से बांग्लादेश को पर्याप्त पानी न मिलने का आरोप लगाने वाला बांग्लादेश, अब इस जल कमी को प्राकृतिक कारण मानने लगा है। मंगलवार को फरक्का निरीक्षण के बाद बांग्लादेश प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख मोहम्मद अबुल हुसैन ने कहा कि “प्राकृतिक कारणों से नदी में जल प्रवाह कम होता है।”

बांग्लादेश के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को शताब्दी एक्सप्रेस से फरक्का के लिए यात्रा शुरू की थी। शाम को न्यू फरक्का स्टेशन पहुंचने के बाद फरक्का बैराज के महाप्रबंधक आरडी देशपांडे ने दल का स्वागत किया। मंगलवार सुबह प्रतिनिधिमंडल ने बैराज का निरीक्षण किया और गंगा से पद्मा में पानी के प्रवाह की स्थिति का जायजा लिया।

निरीक्षण के बाद अबुल हुसैन ने कहा कि जनवरी में पानी की स्थिति अच्छी थी, फरवरी में कम हो गई। जल का घटना-बढ़ना प्राकृतिक प्रक्रिया है। उन्होंने यह भी बताया कि गंगा-पद्मा जल बंटवारा पूरी तरह समझौते के अनुसार लागू हो रहा है। समझौते की अवधि बढ़ाने पर विशेष समिति विचार करेगी।

भारत और बांग्लादेश के प्रतिनिधि छह मार्च को संयुक्त नदी आयोग की 86वीं बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में गंगा-पद्मा जल बंटवारे के साथ ही तीस्ता सहित 54 अंतरराष्ट्रीय नदियों के मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके बाद 07 मार्च को कोलकाता में तकनीकी स्तर की बैठक आयोजित की जाएगी। 08 मार्च को बांग्लादेश प्रतिनिधिमंडल विशेष उड़ान से ढाका के लिए रवाना होगा।

शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और भारत विरोधी माहौल के बीच इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। यह केवल कूटनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भविष्य की जल प्रबंधन नीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।