
सामाजिक समता और साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रतीक लोकदेवता को दी गई श्रद्धांजलि
ओंकार समाचार
कोलकाता, 2 सितम्बर। राजस्थान की लोकआस्था और अध्यात्मिक परंपरा के प्रतीक लोकदेवता बाबा श्री रामदेव का दशमी महोत्सव सोमवार को कोलकाता महानगर में बड़े हर्षोल्लास और भक्ति भाव से मनाया गया। रामसापीर मंडल की ओर से आयोजित इस भव्य आयोजन ने सामाजिक समता और साम्प्रदायिक सद्भाव का सशक्त संदेश दिया।
पूजा-अर्चना और कथा से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 8 बजे बालीगंज पार्क स्थित राजेश गणपति बैंक्वेट में हुआ। सबसे पहले बाबा की प्रतिमा के समक्ष विधिवत पूजा-अर्चना और आरती संपन्न हुई। इसके उपरांत प्रसिद्ध कथा वाचक लक्ष्मीकांत व्यास ‘मुन्ना जी’ ने अपने विशिष्ट गायन-शैली में बाबा रामदेव के जीवन चरित्र और चमत्कारों की अमृतगाथा सुनाई। उनके सुर और भाव ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
चरणामृत और अभिषेक का आयोजन
दोपहर में बाबा श्री रामदेव के पावन चरणों का अभिषेक संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं ने क्रमबद्ध होकर बाबा के पगलियों का अभिषेक किया और चरणामृत ग्रहण कर स्वयं को धन्य महसूस किया। आयोजन स्थल पर उपस्थित भक्तों ने इसे जीवन का अनमोल अवसर बताया।
बारात में झलका राजस्थानी रंग
शाम 4:30 बजे बाबा की भव्य बारात निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पारंपरिक राजस्थानी परिधान—पगड़ी, साफा, और अंगरखा—धारण किए भक्तों ने बंगाल की धरती पर मानो राजस्थान का जीवंत चित्र प्रस्तुत कर दिया। बारात के दौरान ढोल-नगाड़ों की थाप और लोकगीतों की गूंज ने पूरे वातावरण को भक्तिमय और उल्लासपूर्ण बना दिया।
भक्ति संध्या में आशा वैष्णव का मनमोहक भजन
सांध्यकालीन सत्र में अहमदाबाद से पधारी प्रसिद्ध भजन गायिका आशा वैष्णव ने अपनी मधुर वाणी से भक्ति रस की धारा प्रवाहित कर दी। उनके गाए मारवाड़ी और हिंदी भजनों ने उपस्थित भक्तों को गहरे आध्यात्मिक भाव में डुबो दिया। पूरे पंडाल में ‘जय बाबा री’ के उद्घोष गूंजते रहे।
विशाल भंडारे में उमड़ी भीड़
महोत्सव में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई थी। दिनभर हजारों लोगों ने प्रसादी का लाभ उठाया। मंडल की ओर से की गई सेवा व्यवस्था और कार्यकर्ताओं की तत्परता की हर किसी ने सराहना की।
108 थाल आरती से हुआ समापन
रात में महोत्सव का समापन भव्य और सामूहिक 108 थाल आरती के साथ हुआ। दीपों और थालों से सजे इस आयोजन का दृश्य देखते ही बनता था। भक्तों ने आरती में सम्मिलित होकर बाबा से सुख-समृद्धि, शांति और भाईचारे की कामना की।
समाजसेवी प्रह्लाद रॉय गोयनका ने जताया आभार
रामसापीर मंडल के अध्यक्ष एवं समाजसेवी प्रह्लाद रॉय गोयनका ने समारोह की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की और आयोजन में सहयोग देने वाले सभी भक्तों और कार्यकर्ताओं का आभार जताया। उन्होंने कहा कि “बाबा रामदेव का संदेश सामाजिक समता और साम्प्रदायिक सद्भाव है, और यह महोत्सव उसी भावना को आगे बढ़ाने का प्रयास है।”
राजस्थानी समाज की रही उल्लेखनीय भागीदारी
इस अवसर पर प्रदीप तोदी, बनवारी लाल सोती, संदीप गर्ग, कमल गांधी, अरुण मेहता, जगमोहन बागला, कुंज बिहारी अग्रवाल सहित कोलकाता के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में राजस्थानी समाज के लोग मौजूद रहे। उनकी सक्रिय उपस्थिति ने महोत्सव की गरिमा और भी बढ़ा दी।
आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम
महोत्सव के दौरान एक ओर राजस्थान की लोक परंपरा की झलक दिखी तो दूसरी ओर बंगाल की मेहमाननवाज़ी और संस्कृति की आत्मीयता भी अनुभव हुई। श्रद्धालुओं ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं था, बल्कि एक ऐसा मंच था जहाँ आस्था, संस्कृति और भाईचारे का अद्भुत संगम दिखाई दिया।