
कोलकाता, 9 मई । जाली पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार आज़ाद मलिक को लेकर अब राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता गहराती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में आरोपित के मोबाइल फोन से लगभग 20 हजार पन्नों के संदेहास्पद दस्तावेज बरामद हुए हैं। इसके अलावा कुछ वीडियो फुटेज, तस्वीरें और कोड भाषा में रिकॉर्ड किए गए वॉयस नोट्स भी मिले हैं, जिनकी गहन जांच की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, आज़ाद मलिक पिछले 13 वर्षों से अपनी असली पहचान छिपाकर भारत में रह रहा था। उसने बांग्लादेशी नागरिक के रूप में उत्तर 24 परगना जिले से अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया और एक दलाल के माध्यम से फर्जी दस्तावेज तैयार कर भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट हासिल किया।
प्रारंभ में मामला केवल फर्जी दस्तावेज़ और जाली पासपोर्ट से जुड़ा था, लेकिन अब जांच एजेंसियों को संदेह है कि आज़ाद मलिक का संपर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से भी हो सकता है। ईडी अधिकारियों ने कोलकाता सत्र न्यायालय में बताया है कि आरोपित के कब्जे से जब्त मोबाइल फोनों में संदेहास्पद जानकारी और संवाद मिले हैं, जिनमें कई कोडवर्ड्स शामिल हैं। जांच एजेंसियां उन संवादों को डिकोड करने में जुटी हैं।
बताया गया है कि भले ही आज़ाद भारत में रह रहा था, लेकिन वह अलग-अलग माध्यमों से पाकिस्तान के संपर्क में था। ईडी को कई ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप्स के बारे में जानकारी मिली है, जिनमें आज़ाद शामिल था। इन तथ्यों को अदालत में प्रस्तुत करते हुए ईडी ने आरोपित की पांच दिनों की हिरासत की मांग की, जिसे सुनने के बाद अदालत ने 13 मई तक की ईडी हिरासत की अनुमति दी।
यह मामला भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। ईडी और केंद्रीय खुफिया एजेंसियां इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या आज़ाद मलिक वाकई पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था, और अगर हां, तो उसने अब तक किन-किन सूचनाओं को लीक किया है।