कोलकाता, 28 जनवरी। इस साल पद्मश्री पाने वालों में पश्चिम बंगाल के विज्ञान विशेषज्ञ नारायण चक्रवर्ती का नाम भी शामिल है। मुख्य रूप से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को लेकर उल्लेखनीय कार्य करने वाले चक्रवर्ती ने विशेष बातचीत में आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि सैकड़ों सालों से आयुर्वेद को दबा कर रखा गया, जबकि प्राकृतिक उपादान से दवा तैयार करने की विधि इस शास्त्र में वर्णित है। आयुर्वेद का जो मजाक उड़ाते हैं वह इसकी अहमियत को नहीं समझते।

नारायण चक्रवर्ती कहते हैं कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनेक विषयों पर आयुर्वेद पहले ही दृष्टिपात कर चुका है। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत और चरक को मिल रही वैश्विक स्वीकार्यता का उल्लेख करते हुए नारायण चक्रवर्ती ने कहा कि ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे शिक्षण संस्थानों ने भी उनके द्वारा कही बातों को स्वीकार किया है। यही बात में पूरी दुनिया को बताने की कोशिश कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि कोरोना के समय पूरी तरह देसी उपादानों से प्रतिरोधक सफलतापूर्वक तैयार किया गया है। कोरोना से मृत्यु होने के 24 घंटे बाद शव में जीवाणु नहीं रहता, इन सब विषयों पर मैं 50 से भी ज्यादा निबंध लिख चुका हूं।

मौलाना आजाद कॉलेज के रसायन विभाग के अध्यापक रह चुके नारायण चक्रवर्ती सेवानिवृत्ति के बाद उसी कॉलेज में जीव विज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर संकाय के विजिटिंग प्रोफेसर थे। वेस्ट बंगाल बायोलॉजिकल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सलाहकार एवं निदेशक रह चुके नारायण जैन आर्सेनिक से होने वाले दुष्प्रभाव जैसे विभिन्न विषयों पर शोध किया एवं काफी कुछ लिखा है। इस संबंध में उनकी कई किताबें आ चुकी हैं।