रात 9.10 पर प्लेटफार्म पर पहुंचने से पहले ही स्वागत को पहुंचे शहरवासी
ढोल पर जमकर नाचे युवा-बुजुर्ग दर्शनार्थी
उदयपुर, 06 फरवरी। अयोध्या में श्रीरामलला के भव्य मंदिर के निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद उदयपुर से 3 फरवरी को गई पहली अयोध्या आस्था स्पेशल ट्रेन मंगलवार 6 फरवरी रात 9.10 बजे पुनः उदयपुर लौटी। ट्रेन के उदयपुर पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में शहरवासी लौट रहे दर्शनार्थियों के स्वागत-अभिनंदन के लिए वहां पहुंच गए। ढोल-बाजों के साथ पहुंचे शहरवासियों ने ट्रेन के प्लेटफार्म पर प्रवेश करने के साथ ही श्रीराम के नारों से स्टेशन को गुंजा दिया। माला-उपरणों से स्वागत के बाद सभी दर्शनार्थियों को ढोल-बाजों की धुन पर नाचते हुए स्टेशन से बाहर तक लाया गया।
स्टेशन पहुंचने पर मंडल रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य जयेश चम्पावत ने समिति की ओर से सभी का उपरणा ओढ़ाकर स्वागत किया।
अयोध्या दर्शन कर लौटे उदयपुर शहर के उपमहापौर पारस सिंघवी के स्वागत में बड़ी संख्या में पहुंचे युवा भाजपा कार्यकर्ता उन्हें कंधों पर उठाकर नाचे।
विहिप के पदाधिकारी सुंदर कटारिया, अशोक प्रजापत, भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अलका मूंदड़ा आदि ने अयोध्या के वातावरण को अविस्मरणीय बताया। सभी ने यही कहा कि रामजी की नगरी अयोध्या पूरे देश के रामभक्तों के स्वागत को तैयार है। अयोध्या नगरी का नया स्वरूप वहां पर कदम रखते ही सभी को आत्मिक आनंद की अनुभूति कराता है।
चार धाम के बाद अब अयोध्या है पांचवां धाम
उदयपुर से अयोध्या गई पहली रेल से लौटे 1990 के विहिप के विभाग मंत्री भंवरलाल शर्मा ने कहा कि अयोध्याधाम के दर्शन से ऐसा लगा मानो हम चार धाम के बाद पांचवें धाम के तीरथ पर पहुंच गए हों। एक वह समय था जब कारसेवा के दौरान वहां गए थे, तब की अयोध्या और आज की अयोध्या का दृश्य ही बदल गया है। सम्पूर्ण अयोध्या मानो तीरथ धाम हो गई है और हर अयोध्यावासी के व्यवहार ने भी यही अहसास कराया कि आप धर्मनगरी में हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश ही मन को शीतलता का अहसास हुआ। प्रभु श्रीरामलला के दर्शन करते समय वहां से हटने का मन ही नहीं हुआ। उनके दर्शन के समय 1990-92 की कारसेवा में रामभक्तों के संघर्ष की यादें ताजा हो आईं और सभी की आंखें छलछला उठीं। हिन्दू समाज के लिए अयोध्या अब पांचवां धाम है, यही कहना सार होगा।
अयोध्या के लिए कुछ भी कहना कम ही होगा
दर्शन कर लौटे वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश गुप्ता ने कहा कि राम शिला पूजन से लेकर अब तक चले मंदिर अभियान के बाद अयोध्या में हुआ परिवर्तन अद्भुत है। न केवल अयोध्या का परिवर्तन हुआ है, बल्कि अयोध्यावासियों के दिलों का भी परिवर्तन हुआ है। श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर अयोध्यावासी देशभर से पहंुच रहे भक्तों के स्वागत को आतुर नजर आ रहा है। व्यवस्थाओं की कोई कमी नहीं है। बड़े-बड़े लंगर चल रहे हैं। यह दृश्य उन सभी को भावविभोर कर गया जिन्होंने वह दृश्य भी देखा था जब अयोध्या में जाना भी मुश्किल था।
नयनाभिराम, बस और कोई शब्द नहीं
अयोध्या से श्रीरामलला के दर्शन कर लौटीं सेवानिवृत्त प्राचार्य वनमाला शर्मा ने बताया कि वहां के बारे में सिर्फ इतना ही कह सकती हैं, नयनाभिराम। न केवल रामलला के दर्शन नयनाभिराम थे, अपितु सम्पूर्ण अयोध्या का दर्शन ही नयनाभिराम था। सम्पूर्ण अयोध्यावासियों का राम-राम से अभिवादन, दर्शनार्थियों का स्वागत, आवश्यकता होने पर तुरंत सहयोग करना, सब कुछ ऐसा था मानो पूरा देश बाराती हो और अयोध्यावासी घराती। मंदिर में दर्शन के समय भी हर कोई भावविभोर था। दर्शन के दौरान हर आंख सजल थी, हर मन भावविह्वल था, इसका वर्णन करना संभव नहीं है।