कोलकाता, 10 फरवरी । पश्चिम बंगाल के बालुरघाट में आत्रेयी नदी का बांध मात्र दो साल में ही टूट गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। रविवार रात बालुरघाट नगर पालिका के 13 नंबर वार्ड में यह घटना घटी। बांध के नजदीक बनी सीढ़ियां भी उलट गईं, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। उनका आरोप है कि बांध निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह घटना पानी के अत्यधिक दबाव के कारण हुई है।

रविवार रात को ही सिंचाई विभाग के इंजीनियर और पुलिस मौके पर पहुंचे। नगर पालिका के चेयरमैन अशोक मित्रा भी घटनास्थल पर पहुंचे और देर रात तक हालात का जायजा लिया। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पानी का दबाव कम करने के लिए रात में ही स्लूइस गेट खोल दिए। यह नदी बांध 2023 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उद्घाटित किया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों में इसकी हालत खस्ता हो गई, जिससे स्थानीय लोग आक्रोशित हैं।

इस घटना को लेकर सियासी घमासान भी तेज हो गया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सोमवार को ममता सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “पश्चिम बंगाल में विकास और आपदा समानार्थक बन गए हैं! दो साल पहले राज्य सरकार ने बालुरघाट में आत्रेयी नदी पर बांध बनाया था, लेकिन अचानक वह भी ढह गया। स्थानीय लोग बेहद डरे हुए हैं। यह मुख्यमंत्री की नाकामी है। उनके शासन में संस्थागत लूट चल रही है, लेकिन अगले साल बंगाल की जनता उनकी सरकार को उखाड़ फेंकेगी।”

इस पर तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने भी लोगों से अपील की है कि वे बेवजह घबराएं नहीं।