कोलकाता, 21 नवंबर । नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार अर्पिता मुखर्जी को उनकी मां के निधन के कारण अदालत ने पांच दिन के पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह फैसला गुरुवार को एक विशेष अदालत द्वारा दिया गया।
दरअसल 23 जुलाई 2022 को, पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी मानी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी को केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार किया था। ईडी ने अर्पिता के टालीगंज और बेलघरिया स्थित फ्लैटों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में नकदी, विदेशी मुद्रा, और सोने के गहने बरामद किए थे।
टालीगंज के ‘डायमंड सिटी’ अपार्टमेंट से 21 करोड़ 90 लाख रुपये नकद जब्त किए गए थे। इसके बाद, 27 जुलाई 2022 को बेलघरिया के ‘क्लब टाउन हाइट्स’ अपार्टमेंट में अर्पिता के नाम से जुड़े दो फ्लैटों पर छापेमारी की गई, जहां से कुल 27 करोड़ 90 लाख रुपये नकद और गहने बरामद हुए।
ईडी के अनुसार, अर्पिता के दोनों फ्लैटों से कुल 49 करोड़ 80 लाख रुपये नकद, पांच करोड़ आठ लाख रुपये के गहने, और सात विदेशी मुद्राएं बरामद की गई थीं।
गिरफ्तारी के बाद से पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी जेल में हैं। इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है, लेकिन मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है।
अर्पिता की मां बेलघरिया में रहती थीं। उनके निधन के बाद अंतिम संस्कार और अन्य धार्मिक क्रियाओं में भाग लेने के लिए अर्पिता ने अदालत से पैरोल की अपील की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। अदालत ने उन्हें पांच दिन की पैरोल दी है। इस मामले में अर्पिता और पार्थ चटर्जी दोनों पर नियुक्ति घोटाले से जुड़े बड़े आरोप हैं। हालांकि, इस केस का नतीजा अभी आना बाकी है।