कोलकाता, 29 जुलाई। पश्चिम बंगाल के स्कूल नौकरी घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय  ने कई ऐसी  छोटी कृषि खरीद और विपणन संस्थाओं का पता लगाया है जिनके माध्यम से घोटाले की रकम छोटे-छोटे हिस्सों में स्थानांतरित की गई थी।

सूत्रों के अनुसार, ईडी अधिकारियों ने 90 ऐसी खरीद-विपणन संस्थाओं की पहचान की है जो इस फंड डायवर्सन  में शामिल थी। हालांकि, इन संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट की गई कुल राशि अधिक नहीं थी। मामले में कुल 68 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी, जिसका मतलब है कि प्रत्येक संस्था के माध्यम से एक करोड़ रुपये से भी कम राशि डायवर्ट की गई थी।

सूत्रों ने बताया कि इन संस्थाओं के खातों की जांच के दौरान, केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने पाया कि नियमित रूप से छोटे-छोटे अमाउंट्स इन खातों में जमा किए गए थे, जिन्हें व्यवसायिक लेन-देन के के विवरण में नहीं दर्शाया गया था।

ईडी अधिकारियों को संदेह है कि ये कृषि खरीद-विपणन संस्थाएं मुख्य रूप से उन लोगों द्वारा संचालित की जा रही थीं जो कमीशन-आधारित एजेंट सर्कल के निचले पायदान पर थे।

सूत्रों ने बताया कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक और चैनल है जो सामने आया है। सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार मध्यस्थ प्रसन्ना रॉय के खाते से भेजे गए कई ईमेल संकेत देते हैं कि इन छोटी खरीद-विपणन एजेंसियों का उपयोग निचले स्तर के एजेंटों को कमीशन भुगतान करने के लिए किया गया था।

 

ईडी अधिकारियों ने कुछ संपत्ति फॉर्म जब्त किए हैं जिनमें भूमि के प्लॉट या आवासीय घर शामिल हैं जो पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव, पार्थ चटर्जी और उनके करीबी सहयोगियों और रिश्तेदारों द्वारा परोक्ष या संयुक्त रूप से धारण किए गए हैं। पार्थ चटर्जी और उनके करीबी सहयोगी वर्तमान में स्कूल नौकरी घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण न्यायिक हिरासत में हैं।