नैनीताल, 04 अक्टूबर। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने सरकारी संपत्ति के साथ तोड़-फोड़ करने और चिकित्सकों के खिलाफ बदसलूकी के मामले में बुधवार को अहम निर्णय जारी करते हुए समझौतानामा संबंधी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
मामला चंपावत जिले के टनकपुर का है। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई। घटनाक्रम के अनुसार डॉ मो. उमर ने 08 मार्च, 2020 को टनकपुर थाने में तीन लोगों दीपक, भुवन लोहनी और रवि के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराया। जिसमें कहा गया कि वह टनकपुर संयुक्त अस्पताल में रात्रि कालीन डयूटी में थे। इस दौरान उपरोक्त तीन लोग एक बच्चे को उपचार के लिए अस्पताल लेकर आए। बच्चे का उपचार किया गया और दवाईयां दी गईं।
इस दौरान तीनों ने चिकित्सक और सहायक कर्मियों के साथ गाली गलौज शुरू कर दी। आरोपियों ने सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के साथ जान से मारने की धमकी देने और अस्पताल में तोड़फोड़ भी की। आरोप है कि तीनों पुलिसकर्मियों के समझाने पर भी नहीं माने।
पुलिस ने जांच के बाद 09 अप्रैल, 2020 को इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर लिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चंपावत ने 13 मई, 2020 को आरोपियों को अदालत में तलब करने के निर्देश दिये। जिसे भुवन लोहनी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
इसी बीच दोनों पक्षों ने समझौता कर अदालत में प्रस्तुत कर दिया। जिसे अदालत ने बुधवार को खारिज कर दिया। अदालत ने राजनीतिक संरक्षण के नाम पर बदसलूकी, अस्पताल में तोड़फोड़ और सरकारी कार्य में बांधा पहुंचाने को गंभीर कदम माना। अदालत ने अपने आदेश में आरोपियों को ट्रायल का सामना करने को कहा।
उच्च न्यायालय का यह आदेश सरकारी संपत्तियों के साथ तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ एक नजीर पेश करेगा।