
कोलकाता, 10 अप्रैल । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के रामलीला मैदान में आयोजित विशाल सभा में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बंगाल इकाई ने वक्फ कानून के खिलाफ व्यापक आंदोलन का ऐलान किया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी केॅ नेतृत्व में जमीयत ने घोषणा की कि वे वक्फ कानून के विरोध में एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजेंगे और इस कानून को वापस लेने की मांग करेंगे।
सभा में चौधरी ने कहा कि हम बंगाल के विभिन्न जिलों और कस्बों से हस्ताक्षर एकत्र करेंगे। इससे पहले भी जनदबाव से कई कानून वापस लिए गए हैं और हम एक करोड़ हस्ताक्षरों के साथ इस कानून को भी रद्द करवाएंगे। इस अभियान के लिए स्वयंसेवकों को तैनात किया जाएगा जो घर-घर जाकर समर्थन जुटाएंगे। इसके साथ ही, कानूनी लड़ाई के लिए एक क्राउडफंडिंग अभियान भी शुरू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
जमीयत ने अपने प्रस्ताव में आरोप लगाया कि हाल ही में संसद से पारित वक्फ कानून अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर हमला है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कमजोर करता है और नौकरशाहों को अत्यधिक अधिकार देता है। कानून के माध्यम से केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। संयुक्त संसदीय समिति और अन्य हितधारकों की आपत्तियों को नजर अंदाज करते हुए यह कानून पारित किया गया। वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति तथा संपत्ति विवादों पर निर्णय का अधिकार राज्य अधिकारियों को देना मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है।
दरअसल नया वक्फ कानून सरकार को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों के समाधान में अधिक अधिकार देता है। इसके तहत वक्फ बोर्डों और परिषदों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है, जिसे मुस्लिम संगठनों ने समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप बताया है। जमीयत का कहना है कि यदि सरकार ने इस कानून को वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।