
नई दिल्ली, 24 जुलाई । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को यहां के अटल अक्षय ऊर्जा भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का अनावरण किया। सहकारिता मंत्रालय ने इस नीति को आगामी दो दशकों (2025-2045) के लिए भारत के सहकारी आंदोलन की दिशा और दशा तय करने वाला बताया है।
इस अवसर पर नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली समिति के सदस्य, देश के प्रमुख राष्ट्रीय सहकारी संघों के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वैमनीकॉम) के अधिकारी मौजूद रहे।
सहकारिता मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को आधुनिक, समावेशी और भविष्योन्मुखी बनाना है। यह नीति ग्रामीण भारत में रोजगार और आजीविका के अवसरों को व्यापक रूप से बढ़ावा देगी और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को साकार करने में सहकारिता क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगी।
भारत की पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति वर्ष 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जारी की थी। पिछले दो दशकों में सामाजिक, तकनीकी और आर्थिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए एक नई, समसामयिक और व्यवहारिक नीति की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
सहकारिता मंत्रालय के अनुसार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में गठित 48 सदस्यीय समिति ने इस नीति का मसौदा तैयार किया है। नीति निर्माण के दौरान 17 बैठकें और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनमें विभिन्न हितधारकों से प्राप्त 648 सुझावों को सम्मिलित कर एक सहभागी और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया गया।
सहकारिता मंत्रालय के अनुसार नई सहकारिता नीति न केवल सहकारी संस्थाओं को पेशेवर और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करेगी, बल्कि उन्हें वर्तमान आर्थिक चुनौतियों से निपटने में भी सक्षम बनाएगी। यह नीति सहकारिता के जरिए गांवों में समृद्धि लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को और अधिक सुदृढ़ करेगी।