जींद, 14 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि हमें समाज को संगठित करने के लिए अधिक तेजी से कार्य करना होगा। जब संपूर्ण राष्ट्र एकमुष्ठ शक्ति के साथ खड़ा होगा तो यह देश फिर से विश्वगुरु बनेगा। भारत के विश्वगुरु बनने से दुनिया का सारा अमंगल दूर होगा और सभी शांति व उन्नति को प्राप्त करेंगे।

डॉ. भागवत अपने तीन दिवसीय प्रवास के अंतिम दिन गोपाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित मकर संक्रांति कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनने का आनंद है और आनंद करना भी चाहिए। अभी और बहुत काम करना है, लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखेंगे कि जिस तपस्या के आधार पर यह काम हो रहा है वह तपस्या हमें आगे भी जारी रखनी है। इस अवसर पर क्षेत्र संघचालक सीताराम व्यास, प्रांत संघचालक पवन जिंदल समेत कई प्रमुख लोग मौजूद रहे।

संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा कि समाज में तीन शब्द चलते हैं- क्रांति, उत्क्रांति, संक्रांति, तीनों का अर्थ- परिवर्तन है। परंतु परिवर्तन किस तरीके से आया उसमें अंतर है। संक्रांति हमारे यहां आदिकाल से प्रचलित है। बड़े-बड़े कार्य स्व के आधार पर, सत्य के आधार पर होते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया की ज्यादातर संस्कृति अपने शील के साथ मिट गई, लेकिन हिंदू संस्कृति हर प्रकार के उतार-चढ़ाव के बाद भी जिंदा है।