
धनबाद, 27 अगस्त । धनबाद के डिप्टी मेयर नीरज सिंह सहित चार लोगों की हत्या के मामले में पूर्व विधायक संजीव सिंह सहित सभी आरोपितों को बुधवार को धनबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दुर्दश चंद्र अवस्थी की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
इस मामले में नीरज सिंह के छोटे भाई अभिषेक सिंह की लिखित शिकायत पर संजीव सिंह, उनके भाई सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, झरिया के गया सिंह (फिलहाल) और महंत पांडेय को नामजद और अन्य अज्ञात को आरोपित बनाया गया था। जांच के बाद पुलिस ने इस कांड में 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में मनीष सिंह, गया सिंह और महंत पांडेय का नाम नहीं था। इनके खिलाफ पुलिस को साक्ष्य नहीं मिले।
कोर्ट ने सुल्तानपुर के कुर्बान अली उर्फ सोनू, बलिया के चंदन सिंह उर्फ रोहित उर्फ सतीश और सुल्तानपुर के शिबू उर्फ सागर सिंह (तीनों शूटर) के अलावा शूटरों को धनबाद बुलाने के आरोपित सुल्तानपुर लंभुआ के पंकज सिंह, समस्तीपुर के डबलू मिश्रा, उसके दोस्त झरिया निवासी विनोद सिंह, सरायढेला के रणवीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी, झरिया माडा कॉलोनी निवासी रंजय सिंह के भाई संजय सिंह और जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया।
केस से जुड़े लोगों को ही मिली कोर्ट में इंट्री फैसले के मद्देनजर धनबाद कोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। सरकारी और निजी सुरक्षा गार्ड से पूरा कोर्ट परिसर पटा हुआ था। फैसला सुनाने के दौरान केस से जुड़े लोगों को ही कोर्ट रूम में इंट्री दी गई। कोर्ट में आरोपितों के साथ उनके वकील उपस्थित थे। नीरज हत्याकांड के आठ साल पांच महीने और छह दिन बाद न्यायालय ने अपना अहम फैसला सुनाया। कोर्ट में 408 तारीखें पड़ीं। मामले में 37 लोगों ने अपनी गवाही दी थी। कई तकनीकी साक्ष्य भी न्यायालय में पेश किए गए थे। आदित्य राज की गवाही को न्यायालय ने निकाल दिया।
संजीव सिंह को स्ट्रेचर पर कोर्ट में लाया गयाइसके पूर्व संजीव सिंह को स्ट्रेचर पर कोर्ट के अंदर ले जाया गया। पुलिस उन्हें एंबुलेंस में सिंह मेंशन से लेकर कोर्ट पहुंची थी। इसके पहले वकीलों को कोर्ट में प्रवेश नहीं करने देने पर वकीलों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हालांकि, थोड़ी देर बाद नारेबाजी बंद हो गयी और कोर्ट ने नीरज सिंह हत्याकांड की सुनवाई शुरू की। फैसले के मद्देनजर चंदन, शिबू और विनोद को जेल से कोर्ट में पेश किया गया था। अन्य आरोपित सशरीर न्यायालय में हाजिर हुए थे। सजा के ऐलान के साथ जमानत पर छूटे सभी आरोपित मुक्त हो गए।
धनबाद के तत्कालीन डिप्टी मेयर नीरज सिंह के साथ अशोक यादव, चंद्र प्रकाश महतो उर्फ घोल्टू और मुन्ना तिवारी की हत्या कर दी गयी थी। अशोक यादव नीरज सिंह के सचिव थे, जबकि घोल्टू उनका ड्राइवर और मुन्ना तिवारी निजी बॉडी गार्ड था। इस मामले में झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह सहित 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। मामले में सात लोग जमानत पर थे, तीन जेल में, जबकि एक आरोपित की जेल में ही हत्या कर दी गई थी।