पोक्सो अदालत ने प्रत्येक आरोपिताें पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

अजमेर, 20 अगस्त। अजमेर में 32 साल पहले हुए बहुचर्चित अश्लील ब्लैकमेल कांड में दोषी करार छह आरोपिताें को अजमेर की पोक्सो प्रकरण की विशिष्ट अदालत संख्या दो ने मंगलवार काे उम्र क़ैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इससे पहले अजमेर के पॉक्सो कोर्ट ने आज सुबह ही 6 आरोपिताें को दोषी ठहराया था। इस मामले की पीड़ित महिलाओं और उनके परिजनाें काे यह फ़ैसला आने का इंतज़ार था। सभी ने इसे न्याय की जीत कहा।

आज फैसला सुनाये जाने के समय कोर्ट में छह आरोपित नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, सोहिल गणी, सैयद जमीर हुसैन मौजूद थे, जबकि एक आरोपित इकबाल भाटी को एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली से अजमेर लाया गया। इन छह आरोपिताें पर चार्जशीट 23 जून, 2001 को पेश हुई थी। इनकी सुनवाई इसी साल जुलाई में पूरी हुई है। तब आरोपिताें में से एक इक़बाल के हाज़िर नहीं होने पर अदालत ने फ़ैसला 20 जुलाई तक रोक लिया था। इन सभी को दोषी मानते हुए अदालत ने आज दोपहर दो बजे बाद निर्णय सुनाया।

यह मामला 32 साल पुराना है, जब अजमेर के कई कॉलेजों की 100 से ज़्यादा छात्राओं को फोटो खींचकर ब्लैकमेल किया गया था। वर्ष 1992 में इस प्रकरण के उजागर होने के बाद उपरोक्त छह आरोपिताें के साथ जिन नौ आरोपियों को चिन्हित किया था, उनमें फारूक चिश्ती, अनवर चिश्ती, परवेज अंसारी, पुत्तन इलाहाबादी, इशरत उर्फ लल्ली, महेश लुधानी, कैलाश सोनी, हरीश तोलानी व शम्सु भिश्ती उर्फ मेराडोना शामिल हैं। सभी को अजमेर की गंज थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बाद गिरफ्तार किया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 104 गवाह और 245 दस्तावेज पेश किए गए हैं। इस मामले में कुल अट्ठारह आराेपिताें में से नाै आरोपिताें को पहले ही अजमेर के सेशन कोर्ट से उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि एक आरोपित आत्महत्या कर चुका है। एक आरोपित अलमास महाराज फरार है। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है।

इस दौरान गिरफ्तार हुए पुत्तन इलाहाबादी का रिश्तेदार इलाहाबाद निवासी नसीम उर्फ़ टार्जन जमानत पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था, जो बाद में पकड़ा गया। अदालत ने उसके खिलाफ अलग से सुनवाई शुरू की और उसके खिलाफ सुनवाई चल रही है। आरोपिताें में सलीम चिश्ती को पुलिस ने खुफिया सूचना के आधार पर दरगाह क्षेत्र से गिरफ्तार किया था, जबकि जमील चिश्ती को अदालत से अग्रिम जमानत मिली थी। इस कांड के सरगना कहे जाने वाले नफीस चिश्ती को फरारी के दौरान दिल्ली की धौला कुआं चौकी के सिपाहियों ने महिला के वेश में बुर्का पहनकर बस में सफर करने के दौरान पकड़ा था। इसके बाद मुंबई निवासी इकबाल भाटी को पकड़ा गया। करीब 29 साल की फरारी काटने के बाद आरोपित सोहेल गनी ने अदालत में समर्पण किया था।

इस बहुचर्चित मामले में एक आरोपित अलमास महारा मफरूर घोषित है। हालांकि, उसके अमेरिका में होने की सूचना बताई जाती है। उसके खिलाफ रेड कार्नर वारंट भी जारी हो चुका है। इस मामले में परवेज अंसारी, महेश लुधानी, हरीश तोलानी, कैलाश सोनी काे निचली कोर्ट ने 1998 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी लेकिन बाद में इन्हें हाई कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था। आराेपित पुरुषोत्तम उर्फ बबली ने जमानत पर बाहर आने के बाद 1994 में केस चलने के दौरान सुसाइड कर लिया था। एक अन्य आराेपित जहूर चिश्ती के खिलाफ एक लड़के के साथ कुकर्म का केस चल रहा है। फारुख चिश्ती को निचली कोर्ट ने 2007 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। 2013 में उसे भुगती हुई सजा पर ही हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया था।

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब आरोपिताें ने रील डेवलप करने के लिए एक फाेटाे लैब में दी थी। न्यूड तस्वीरें देख लैब के कर्मचारियों की नीयत बिगड़ गई थी। उनके माध्यम से ही लड़कियों की न्यूड फोटो बाजार में आई। मास्टर प्रिंट कुछ लोगों के पास ही थे लेकिन इनकी जेरोक्स कॉपी शहर में सर्कुलेट होने लगी। ये फोटो, जिसके भी हाथ में लगी, उसने लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इस कारण कॉलेज की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया। परेशान होकर कुछ छात्राओं ने हिम्मत दिखाई और पुलिस के पास पहुंचीं। केस में कई रईसजादों के नाम सामने आए थे। इसमें मास्टरमाइंड अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती के नाम भी शामिल थे। तत्कालीन भैंरोसिंह शेखावत सरकार ने जांच सीआईडी को दी थी।