बमरौली , प्रयागराज 8 अक्टूबर। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने कहा है कि आधुनिक युद्धों की कोई सीमा नहीं है इसलिए वायु सेना को हर तरह के युद्ध में हावी होने के लिए अंतरिक्ष , साइबर और जमीनी क्षमताओं के तालमेल को बढाते हुए अपने रणकौशल को बढाना होगा।
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने रविवार को यहां 92 वें वायु सेना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मल्टी-डोमेन ऑपरेशन से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक, वायु सेना को यह पहचानने की जरूरत है कि आधुनिक युद्ध पारंपरिक सीमाओं से परे है। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए, “ हमें युद्ध क्षेत्र पर हावी होने के लिए वायु, अंतरिक्ष, साइबर और जमीनी क्षमताओं को सहजता से एकीकृत करना होगा। हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि, मैं और क्या कर सकता हूं? अपने आप को आज की जरूरतों तक सीमित न रखें। आज से आगे सोचें और आपको एहसास होगा कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।”
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान और नौसेना तथा थल सेना प्रमुखों की मौजूदगी में वायु सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले नौ दशकों में भारतीय वायुसेना की ताकत लगातार बढी है और यह दुनिया की बेहतरीन वायु सेनाओं में से एक बन गई। उन्होंने सवाल किया , “ लेकिन क्या इतना काफी है? यदि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है, तो 2032 में जब हम 100 वर्ष पूरे करेंगे, तब तक भारतीय वायुसेना को सर्वोत्तम नहीं तो सर्वोत्तम में से एक होना चाहिए।”
वायु सेना प्रमुख ने कहा ,“ सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, मैं आपसे यह आग्रह करना चाहूंगा कि आप जो कुछ भी करते हैं उसमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। यह समझौता योग्य नहीं है. हमें अपने संचालन, प्रशिक्षण, रखरखाव और प्रशासन के हर पहलू में खुद को उच्चतम मानकों पर रखना चाहिए। हमें प्रौद्योगिकी और नवाचार में अग्रणी बनने का प्रयास करना चाहिए। हमें तकनीकी श्रेष्ठता बनाने के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान, विकास और अधिग्रहण में निवेश करना चाहिए। नवाचार हमारे डीएनए का हिस्सा बनना चाहिए, जिससे हम उभरते खतरों और चुनौतियों से आसानी से निपट सकें। हमें स्वयं का ईमानदारी से मूल्यांकन करने और परिवर्तन में आने वाली किसी भी बाधा का समाधान करने की आवश्यकता है। हमें जिस बल संरचना को विकसित करने की आवश्यकता है वह भविष्य के लिए तैयार होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि सभी को नवाचार को बढ़ावा देते हुए प्रत्येक वायु योद्धा को वायु सेना को बेहतर बनाने में योगदान का अवसर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस जटिल और बहुआयामी रणनीतिक माहौल में रणनीति को परिष्कृत करना और हर क्षेत्र में क्षमताओं को बढाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हवाई क्षेत्र और अंतरिक्ष में बड़ी ताकत बनने के लिए हमें अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व को पहचानना चाहिए और अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं का विकास जारी रखना चाहिए।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि तेजी से बदलती दुनिया में हमें सभी तरह की नई चुनौतियों से निपटने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “ हमें अनुशासन, अखंडता की संस्कृति को बढ़ावा देना जारी रखना चाहिए और उभरते खतरों के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए। हमारे राष्ट्र की रक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ है और हम अपने क्षेत्र की रक्षा करना, संभावित विरोधियों को रोकना और अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जारी रखेंगे। भारतीय वायु सेना सिर्फ एक सैन्य बल नहीं है, यह हमारे देश की सामूहिक शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि पिछला वर्ष काफी चुनौतियाँ लेकर आया लेकिन यह खुशी की बात है कि वायुसेना ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और हर चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया। उन्होंने कहा, “ हमने न केवल चुनौतियों से पार पाया है, बल्कि उन चुनौतियों को अवसर में भी बदला। वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य ने हमें स्वदेशी क्षमता विकसित करके आयात पर निर्भरता कम करने का अवसर प्रदान किया है।”
वायु सेना प्रमुख ने वायु यौद्धाओं से उनकी अपेक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा , “ दो साल पहले भारतीय वायुसेना को अपने पहले संबोधन में मैंने बताया था कि सभी वायु योद्धाओं से मेरी क्या अपेक्षाएं हैं ताकि भारतीय वायुसेना प्रासंगिक और समसामयिक बनी रहे। मैंने परिवर्तन की आवश्यकता के बारे में बात की थी और कहा था कि कैसे हमें हाइब्रिड युद्ध और मल्टी-डोमेन ऑपरेशन को फिर से परिभाषित करने, फिर से कल्पना करने और पुन: कैलिब्रेट करने की आवश्यकता है। इस साल मैं भारतीय वायुसेना के लिए अपने दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा कि हम कहां हैं और उस दृष्टिकोण को वास्तविकता बनाने के लिए हमें क्या करने की आवश्यकता है।”
२देश की रक्षा में प्राणों की बाजी लगाने वाले वायु यौद्धाओं को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा, “ सभी वायु योद्धाओं की ओर से, मैं अपने बहादुरों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान दिया।
उनकी विरासत को संरक्षित करना और उन मूल्यों को बनाए रखना हमारी गंभीर जिम्मेदारी है जिनके लिए उन्होंने संघर्ष किया।”