अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट से घरेलू सर्राफा बाजार में सस्ता हुआ सोना
नई दिल्ली, 13 नवंबर। पिछले महीने तक लगातार मजबूती का नया रिकॉर्ड बनाने वाले सोना अब गिरावट की राह पर चल पड़ा है। दिल्ली सर्राफा बाजार में 27 अक्टूबर को 80,440 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार करने वाला सोना आज 77,430 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ गया है। माना जा रहा है कि अमेरिकी चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही निवेशकों ने गोल्ड मार्केट से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से इस चमकीली धातु की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैश्विक माहौल में पिछले 1 सप्ताह के दौरान आए बदलाव के कारण आने वाले दिनों में सोने की गिरावट और बढ़ सकती है, जिससे ये चमकीली धातु 72,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक भी लुढ़क सकती है।
घरेलू सर्राफा बाजार में आज 24 कैरेट सोना 1,470 रुपये की गिरावट के साथ 77,430 रुपये से लेकर 77,280 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में कारोबार कर रहा है। इसी तरह 22 कैरेट सोना 1,350 रुपये की गिरावट के साथ 70,990 रुपये से लेकर 70,840 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में कारोबार कर रहा है। सर्राफा बाजार में सोने के भाव में आज लगातार पांचवें दिन गिरावट आई है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत में आई तेज गिरावट की वजह से घरेलू सर्राफा बाजार में भी इस चमकीली धातु की कीमत में गिरावट का रुख बना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 2,800 डॉलर प्रति ऑन्स के ऑल टाइम हाई लेवल से लुढ़क कर 2,617.15 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर तक पहुंच गया है। हालांकि कॉमेक्स पर स्पॉट गोल्ड की तुलना में गोल्ड फ्यूचर थोड़ी बढ़त के साथ 2,621.85 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
बुलियन मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के अनुसार पिछले महीने तक अमेरिका में राजनीतिक अनिश्चितता की आशंका, जियो पॉलिटिकल टेंशन और कई देशों के सेंट्रल बैंकों द्वारा की जा रही सोने की खरीदारी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना लगातार मजबूती के नए रिकॉर्ड बना रहा था। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के साथ राजनीतिक अनिश्चितता की बात खत्म हो गई है। इसके साथ ही ट्रम्प ने जिस तरह चुनाव जीतने के बाद दुनिया के 70 से अधिक देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से बातचीत की पहल शुरू की है, उससे जियो पोलिटिकल टेंशन घटने की भी उम्मीद बन गई है। इस इस वजह से निवेशकों ने सोने में निवेश घटा दिया है।
उल्लेखनीय है कि सोना को परंपरागत रूप से सेफ इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट माना जाता है। इसीलिए किसी भी संकट की स्थिति में या वैश्विक तनाव के हालात बनने पर निवेशक सोने में निवेश बढ़ा देते हैं। लेकिन सामान्य स्थिति में निवेशक गोल्ड मार्केट की तुलना में इक्विटी मार्केट या क्रिप्टो करेंसी मार्केट में तुलनात्मक तौर पर अधिक निवेश करते हैं। इक्विटी या क्रिप्टो करेंसी मार्केट में जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन इसका रिटर्न भी जबरदस्त होता है।
मयंक मोहन के अनुसार अक्टूबर के तनावपूर्ण माहौल के बाद नवंबर में तनाव घटने के संकेत मिल रहे हैं, जिसके कारण निवेशकों ने सोने में किया गया अपना निवेश निकाल कर इक्विटी मार्केट में निवेश बढ़ा दिया है। खासकर चीन द्वारा राहत पैकेज का ऐलान करने के बाद निवेशकों ने चीन के स्टॉक मार्केट में अपना निवेश काफी अधिक कर दिया है। इस निवेश के लिए वे दुनिया के दूसरे स्टॉक मार्केट के साथ ही गोल्ड मार्केट से भी लगातार अपने पैसे की निकासी कर रहे हैं, जिसकी वजह से सोने की कीमत में गिरावट का रुख बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत में आई गिरावट का असर घरेलू शेयर बाजार पर भी पड़ा है, जिसके कारण देश के ज्यादातर सर्राफा बाजारों में हाजिर सोने (स्पॉट गोल्ड) के भाव में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
इसी तरह कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट निर्मल जैन का कहना है कि डॉलर इंडेक्स 4 महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा हुआ है। डॉलर की मजबूती के कारण भी सोने के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम हुआ है। इस वजह से नवंबर में स्पॉट गोल्ड 2,600 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर से भी नीचे लुढ़क कर 2,560 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर तक जा सकता है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव में इतनी गिरावट आती है, तो इसका असर घरेलू सर्राफा बाजार पर भी पड़ेगा।
हालांकि निर्मल जैन का ये भी कहना है कि देवोत्थान एकादशी के दिन से ही देश में वेडिंग सीजन की भी शुरुआत हो गई है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत में गिरावट आने के बावजूद घरेलू सर्राफा बाजार में सोना को सपोर्ट मिलता रहेगा। इसके बावजूद वेडिंग सीजन खत्म होने के बाद दिसंबर में सोने की कीमत गिर कर 72,500 से 74,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक लुढ़क सकती है। इसलिए छोटे और खुदरा निवेशकों को फिलहाल काफी सोच समझ कर अपने इनवेस्टमेंट प्लान को अंतिम रूप देना चाहिए।