कोलकाता, 8 फरवरी । पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कल्याणी में शुक्रवार को एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद राज्य सरकार की दो साल पुरानी ‘ग्रीन पटाखा क्लस्टर’ योजना पर सवाल उठने लगे हैं। इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है।

मई 2023 में पूर्व मेदिनीपुर जिले के एगरा में इसी तरह के एक अवैध पटाखा कारखाने में विस्फोट हुआ था, जिसमें नौ लोगों की जान गई थी। उस घटना के बाद राज्य सरकार ने ‘ग्रीन पटाखा क्लस्टर’ बनाने की घोषणा की थी, ताकि राज्य में केवल पर्यावरण के अनुकूल पटाखों का निर्माण हो।

एगरा विस्फोट के बाद राज्य सरकार ने एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन कर हर जिले में एक ‘ग्रीन पटाखा क्लस्टर’ बनाने की संभावनाएं तलाशने की बात कही थी। जून 2023 में सरकार ने 18 ऐसे क्लस्टर बनाने की घोषणा की थी, जिसमें 90 फीसदी लागत सरकार उठाने वाली थी। सरकार ने दावा किया था कि इन क्लस्टर्स के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है और दो महीनों में काम शुरू हो जाएगा।

लेकिन दो साल बाद, कल्याणी विस्फोट ने इन घोषणाओं की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार के अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि विपक्ष और पर्यावरण कार्यकर्ता इसे सिर्फ एक दिखावटी कदम करार दे रहे हैं।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस योजना को सरकार का ध्यान भटकाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा, “एगरा विस्फोट के बाद सरकार ने लोगों की नाराजगी शांत करने के लिए यह योजना घोषित की थी, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं बदला। हर हादसे के बाद प्रशासन दिखावटी कदम उठाता है, लेकिन फिर सबकुछ पहले जैसा हो जाता है।”

सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य और प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने सवाल उठाया कि कल्याणी में जिस फैक्ट्री में विस्फोट हुआ, क्या वह वास्तव में सिर्फ पटाखे बना रही थी या वहां कुछ और खतरनाक विस्फोटक तैयार किए जा रहे थे? उन्होंने कहा, “हर बार ऐसे हादसों के बाद प्रशासन पटाखों और बमों के बीच की सच्चाई को छिपाने की कोशिश करता है।”

पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता

ग्रीन टेक्नोलॉजी और पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञ सोमेंद्र मोहन घोष ने कहा कि जिस फैक्ट्री में यह हादसा हुआ, वह सरकार द्वारा घोषित ‘ग्रीन पटाखा क्लस्टर’ का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने कहा, “यह हादसा सरकार की विफलता को उजागर करता है। इससे साफ होता है कि सुरक्षा उपायों और निगरानी की कमी के कारण ऐसे अवैध कारखाने फल-फूल रहे हैं।”