नई दिल्ली, 25 अप्रैल । राष्ट्रीय महिला आयोग ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक हिंसा पर गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त की है। अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच समिति ने पिछले सप्ताह प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मुर्शिदाबाद की पीड़ित महिलाओं और लड़कियों से मुलाकात की और उऩके ऊपर हुए अत्याचार की रिपोर्ट तैयार की।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हिंसा के बाद से पश्चिम बंगाल पुलिस से लोगों का भरोसा उठ गया है।

आयोग ने शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि पीड़ितों को उनके घरों से घसीटा गया, क्रूरता से हमला किया गया और कुछ मामलों में उन्हें अपनी बेटियों को दुष्कर्म के लिए भेजने के लिए कहा गया। आयोग ने कहा कि इन महिलाओं पर जो आघात पहुंचा है, वह गंभीर है और इसका असर मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से लंबे समय तक रहने वाला है। जबरन विस्थापन ने इन महिलाओं को और भी असुरक्षित स्थिति में धकेल दिया है, जिससे उनके बुनियादी मानवाधिकारों और सम्मान का हनन हुआ है। आयोग ने बताया कि मुर्शिदाबाद में प्रशासनिक मशीनरी और शासन पूरी तरह से विफल रही हैं। पूर्व खुफिया जानकारी और क्षेत्र में स्पष्ट तनाव के बावजूद राज्य सरकार इसे रोकने मेें विफल रही है। मूकदर्शक बनी रही। हिंसा जानबूझकर और पूर्व नियोजित प्रतीत होती है, जिसमें कई पीड़ितों ने आरोप लगाया कि भूमि और संपत्ति हड़पने के स्पष्ट प्रयास में हिंदुओं के घरों और व्यवसायों को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया गया। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने पीड़ितों की मदद के लिए की गई कॉल को या तो नज़रअंदाज़ किया या धीमी और अप्रभावी तरीके से जवाब दिया। अविश्वास इस धारणा से और बढ़ गया है कि पुलिस दंगाइयों के प्रति नरम थी, जो शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता के बजाय राजनीतिक एजेंडे में बदल गई। पीड़ितों को भोजन, कपड़े, पेयजल, स्वच्छता और चिकित्सा सहायता जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। राज्य सरकार न्यूनतम राहत भी प्रदान करने में विफल रही है, जिससे पहले से ही सदमे में आए परिवार निरंतर संकट और अनिश्चितता की स्थिति में हैं।