भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को वैश्विक स्तर पर पहचान मिले : आराध्या

पटना, 22 जुलाई । बिहार के लाेगाें में प्रतिभा की कमी नहीं है। ऐसा ही एक और प्रतिभा बिहार के पूर्वी चम्पारण से उभरी है। मोतिहारी की रहने वाली 14 साल की आराध्या ने हनुमान चालीसा का अनुवाद 234 भाषाओं में कर अनूठा इतिहास कायम किया है। आराध्या सिंह पटना के सेंट केरेंस स्कूल में कक्षा 9वीं की छात्रा हैं।

आराध्या सिंह ने हनुमान चालीसा का अनुवाद अंग्रेजी, स्पैनिश, जापानी, पुर्तगाली, कोरियन, लैटिन, ग्रीक, पंजाबी, मराठी, स्वाती समेत देसी और विदेशी भाषाएं शामिल हैं। यह कार्य उन्होंने पिछले वर्ष छठ पूजा के समय से शुरू किया था और महज 6 महीने में पूरा कर लिया। इसके लिए उन्होंने गुगल ट्रांसलेट और कैनवा ऐप का सहारा लिया।

आराध्या इस अनुवाद को जल्द ही ऑनलाइन प्रकाशित करने जा रही हैं। इसका पहला पेज भारत के 28 राज्यों की पारंपरिक कलाओं जैसे मधुबनी पेंटिंग भी शामिल है, से सजाया गया है। आराध्या का सपना है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को वैश्विक स्तर पर पहचान मिले।

उन्होंने इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई से समय निकालकर यह काम पूरा कर अनोखा काम किया है। वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को देती हैं। चिराग पासवान ने इस प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें सहयोग देने का आश्वासन भी दिया है।

आराध्या की मां रानी सिंह शिक्षिका हैं और पिता मनोज कुमार सिंह व्यवसायी हैं। चार बहनों में सबसे छोटी आराध्या अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए आवेदन की तैयारी में हैं। उनके माता-पिता अपनी बेटी की इस असाधारण उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं।