
वाशिंगटन, 29 मई। यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन जजों के पैनल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झटका देते हुए उनके कुछ देशों के खिलाफ लगाए गए अत्यधिक ट्रैफिक को रोक दिया। फैसले में कहा गया कि राष्ट्रपति ने संघीय कानून के तहत इस तरह का टैरिफ जारी करने में अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया। यह ट्रैफिक अवैध है।
सीबीएस न्यूज की खबर के अनुसार, जजों के पैनल ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। इस फैसले ने पिछले महीने लिबरेशन डे पर व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए इस तरह के टैरिफ को रोक दिया है। पैनल ने चीन, मैक्सिको और कनाडा पर लगाए गए टैरिफ पर भी रोक लगा दी है।
ट्रंप प्रशासन ने 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपात आर्थिक शक्ति अधिनियम हवाला देते हुए टैरिफ को उचित ठहराया है। मगर जजों के पैनल ने इस तर्क को खारिज कर दिया। फैसले में कहा गया कि कांग्रेस से पारित किसी भी कानून के लिए राष्ट्रपति को टैरिफ निर्धारित करने का व्यापक अधिकार देना असंवैधानिक होगा। साथ ही यह टैरिफ राष्ट्रीय आपात आर्थिक शक्ति अधिनियम के तहत अधिकृत नहीं हैं। ऐसा इसलिए कि इस तरह का टैरिफ गैर-आपातकालीन कानून के तहत आना चाहिए।
ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया कि वह इस फैसले को संघीय सर्किट अपील न्यायालय में चुनौती देगा। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने टैरिफ के कारणों का बचाव करते हुए फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे ने राष्ट्रीय आपातकाल पैदा कर दिया है। इससे अमेरिकी समुदाय को काफी नुकसान हुआ है।
देसाई ने ने कहा कि इन जजों को यह तय नहीं करना चाहिए कि राष्ट्रीय आपातकाल को कैसे ठीक से परिभाषित किया जाए। राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका को प्राथमिकता देने का वचन दिया है। वह इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। टैरिफ ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।