हनुमानगढ़, 24 मई । जंक्शन सिटी थाना क्षेत्र के गांव मक्कासर में राजस्थान लोक परिवहन की बस ने शुक्रवार को साइकिल सवार को कुचल दिया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसे से गुस्साए ग्रामीणों ने तोड़फोड़ कर बस में आग लगा दी और शव को लेकर सड़क पर बैठ गए। मौके पर पहुंचीं हनुमानगढ़ एसडीएम दिव्या चौधरी ने ग्रामीणों की समझाइश की। मांगों पर सहमति बनने के बाद ग्रामीणों ने शव काे उठाने दिया। जिला अस्पताल हनुमानगढ़ में पोस्टमॉर्टम करवा कर शव परिजन को सौंप दिया।

हनुमानगढ़ से सूरतगढ़ जा रही राजस्थान लोक परिवहन की बस ने मक्कासर की गली नंबर-5 पर साइकिल सवार इसी गांव के निवासी बलकार सिंह (55) पुत्र सुखदेव सिंह को कुचल दिया। हादसे के बाद काफी देर तक पुलिस नहीं पहुंची, तो ग्रामीण भड़क गए। उन्होंने सवारियां उतार कर बस में तोड़फोड़ करने के बाद आग लगा दी। सूचना पर तीन दमकल मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाया। ग्रामीणों के शव को लेकर सड़क पर बैठ जाने से लंबा जाम लग गया था। ग्रामीणों का कहना था कि वे लोक परिवहन की बस को मक्कासर से नहीं गुजरने देंगे। इसके साथ ही उन्होंने बसों की स्पीड कम करने, मृतक के परिवार को मुआवजा देने और बस ड्राइवर को तुंरत गिरफ्तार करने की मांग की। इस दौरान मौके पर जंक्शन सिटी थाना और टाउन थाना पुलिस के साथ आरएसी के जवान तैनात रहे।

ग्रामीणों से बातचीत के बाद एसडीएम दिव्या चौधरी ने बताया कि मक्कासर गांव से लोक परिवहन की बसों के आवागमन को बंद रखने पर सहमति बनी है। स्पीड ब्रेकर बनाने और वाहनों की रफ्तार कम करवाने की मांग भी मानी गई है। मृतक के परिवार को चिरंजीवी योजना और अन्य किसी तरीके से सरकार से सहायता दिलवाने की मांग पर प्रशासन से सहमति बनी है। वहीं, बस चालक पर कानून के तहत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने पर भी सहमति बनी है।

हनुमानगढ़ जिला परिषद सदस्य मनीष गोदारा ने बताया कि पहले भी ऐसे हादसे हुए हैं। आज फिर राजस्थान लोक परिवहन की तेज रफ्तार बस ने धीमी गति से जाते एक साइकिल सवार किसान भाई को कुचल दिया। पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन वो देर तक नहीं आई। तब तक ग्रामीणों का सब्र टूट गया और उन्होंने आगजनी कर दी। अगर समय पर पुलिस आ जाती तो ये घटना नहीं होती।

जंक्शन सिटी थानाधिकारी सतपाल बिश्नोई ने पुलिस के देरी से पहुंचने की बात से इनकार करते हुए कहा कि हादसे की सूचना मिलते ही एएसआई मोहर सिंह मय जाब्ता मौके पर पहुंचे थे। मृतक बलकार सिंह खेती करते थे। उनके दो बेटी और एक बेटा है। बेटा गुरप्रीत भी पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाता था।