
कोलकाता, 01 अप्रैल । उम्र सिर्फ नौ साल, लेकिन उसके खर्राटे की आवाजें सुनकर घरवाले परेशान हो गए थे। ऐसा लगता था जैसे कोई भारी-भरकम व्यक्ति सो रहा हो। यह मामला था कोलकाता की रहने वाली शृजिया साहा का, जिनकी नाक का खर्राटा अब अपोलो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की ईएनटी टीम ने एक दुर्लभ सर्जरी से ठीक किया है।
शृजिया जन्म से ही एक जेनिटिक डिसऑर्डर “नूनान सिंड्रोम” से पीड़ित हैं। यह बीमारी शरीर के सामान्य विकास में रुकावट डालती है और शृजिया को इसके कारण हार्मोनल उपचार लेना पड़ता है। इस सिंड्रोम के कारण उन्हें बहुत जल्दी उम्र बढ़ने की समस्या होती है और चेहरे पर झुर्रियां भी आ जाती हैं।
इसके अलावा शृजिया को नाक में खर्राटे की समस्या भी थी, जिसे पहले कई डॉक्टर मामूली एलर्जी समझते थे। लेकिन अपोलो अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. शांतनु पांजा ने शृजिया का गहन परीक्षण करने के बाद पाया कि वह “कोएना एट्रेसिया” नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं। यह बीमारी जन्म से होती है और दुनिया भर में दस हजार में से एक बच्चे को इसका सामना करना पड़ता है।
“कोएना एट्रेसिया” में नाक के अंदर नासोफैरेनक्स के आगे का हिस्सा आंशिक या पूरी तरह से बंद हो जाता है, जिससे श्वास लेने में दिक्कत होती है। शृजिया को जब सोते वक्त सांस लेने में कठिनाई होने लगी, तो उसका खर्राटा बहुत जोर से होने लगा।
डॉ. शांतनु पांजा ने बताया कि छोटे बच्चों में नाक से सांस लेने की प्रक्रिया अहम होती है, क्योंकि बड़ी उम्र में लोग मुख्यतः मुंह से सांस लेते हैं। नाक के पीछे का रास्ता पूरी तरह से बंद होने से बच्चे की सांस रुक सकती है, जो बहुत खतरनाक हो सकता है। इस स्थिति को ठीक करने के लिए एक जटिल सर्जरी की जरूरत थी।
शृजिया के नाक के रास्ते को ठीक करने के लिए एक विशेष एंडोस्कोपिक सर्जरी की गई। इस सर्जरी में डॉक्टर को शृजिया के छोटे नाक के अंदर से हड्डी के बीच ड्रिल करके रुकावट को हटाना पड़ा और फिर क्रॉसओवर फ्लैप तकनीक से उसे सही किया गया। शृजिया इस सर्जरी से डर नहीं रही थी और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
यह सर्जरी एक दुर्लभ और जटिल प्रक्रिया थी, लेकिन अब शृजिया को सांस लेने में कोई समस्या नहीं है और उसका नाक का खर्राटा भी बंद हो गया है।