
पत्नी ने कहा-पति देश के लिए बलिदान हुए, दोषियों के मिले सख्त सजा
कोलकाता, 26 अप्रैल। पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले के तेहट, पाथरघाटा गांव में शनिवार को हर आंख नम थी। उधमपुर में बलिदान हुए भारतीय सेना के जवान झंटू अली शेख का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए गांव की गलियों में जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिधर देखो उसी तरफ से ही लोगों के जत्थे के जत्थे देश के लिए बलिदान होने वाले जवान के घर की ओर जा रहे थे। हर कोई भारत माता के जयकारों के बीच इस वीर सपूत को सलाम कर रहा था।
पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद उधमपुर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इसी ऑपरेशन में बंगाल के सपूत झंटू अली शेख वीरगति को प्राप्त हुए। गुरुवार को झंटू अली के वीरगति की खबर उनके परिवार को मिली। शुक्रवार की रात उनका पार्थिव शरीर कोलकाता हवाई अड्डे पहुंचा, जहां से बैरकपुर सैन्य छावनी लाया गया । वहां पर सैन्य सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
शनिवार सुबह जब जवान झंटू अली का पार्थिव शरीर उनके गांव पाथरघाटा लाया गया तो पूरा इलाका गमगीन हो गया। बलिदानी के वृद्ध पिता अपने बेटे के ताबूत को देखकर फूट-फूटकर रो पड़े। मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बेटे को कंधे पर लेकर चलने वाले पिता और गोद में पालने वाली मां के लिए यह वियोग असहनीय था।
वीरगति को प्राप्त झंटू की पत्नी की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे, वहीं दिल में आक्रोश और पति के बलिदान होने का गर्व भी झलक रहा था। उन्होंने कहा कि देश के लिए मेरे बच्चों ने अपने पिता को खो दिया। दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। झंटू अली वर्ष 2008 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। लगभग डेढ़ साल पहले उन्हें कश्मीर में तैनाती मिली थी और परिवार सहित वहीं रह रहे थे। इस साल फरवरी में ही वे अपने माता-पिता से मिलने गांव आए थे।
झंटू अली के बड़े भाई जो स्वयं सेना में हैं ने अपने छोटे भाई के ताबूत को कंधे पर उठाकर अंतिम यात्रा में शामिल हुए। भाई के बलिदान पर गर्व जताते हुए उन्होंने कहा, “मेरे छोटे भाई ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं, यह हमारे परिवार का गर्व है।”