साहित्य संस्थान के पूर्व निदेशक वरिष्ठ पुराविद डॉ. ललित पाण्डेय का निधन

इनटेक सहित इतिहास और पुरातत्व शोध की कई संस्थाओं के मार्गदर्शक थे डॉ. पाण्डेय

(कौशल मूंदड़ा)

उदयपुर, 30 सितम्बर। इतिहास और पुरातत्व के जाने-माने हस्ताक्षर डॉ. ललित पाण्डेय रविवार 29 सितम्बर को इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में अंकित हो गए। रविवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली और शाम को उनकी पार्थिव देह को पंचतत्व को समर्पित कर दिया गया। उनके निधन को पुरातत्वविदों, इतिहासविदों, शोधार्थियों ने उदयपुर ही नहीं, मेवाड़ ही नहीं, अपितु राजस्थान और देश के इतिहास और पुरातत्व शोध के क्षेत्र की अपूरणीय क्षति बताया है।

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के साहित्य संस्थान में निदेशक रहे डॉ. पाण्डेय का प्राचीन पुरातात्विक महत्व के स्थल बालाथल, गिलूण्ड, ईसवाल, नठारा-की-पाल, छतरीखेड़ा, जावसिया और पछमता के उत्खनन में उल्लेखनीय योगदान रहा है। उनके निर्देशन में उदयपुर, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ में स्थित इन स्थलों के उत्खनन के बाद मेवाड़ क्षेत्र में मानव विकास और सामाजिक संरचना के नए तथ्य सामने आए। अभी डॉ. पाण्डेय इन्टेक उदयपुर चौप्टर के समन्वयक के रूप में इतिहास, पुरातत्व एवं धरोहर संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय थे।

हरिद्वार में जन्मे डॉ. पाण्डेय ने कांगड़ी गुरुकुल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर के बाद ‘मौर्य साम्राज्य’ पर पीएचडी की। उनकी दस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें मेदपाट का पुरातत्व, नेचुरल हेरिटेज ऑफ मेवाड़ सहित हाल ही में प्रकाशित मेवाड़ का पुरातत्व एवं प्राचीन राजस्थान के गण, प्राचीन राजस्थान का सामाजिक आर्थिक एवं पुरातात्विक इतिहास, इकोनोमी इन एनशियंट इंडिया प्रमुख हैं। उनके निर्देशन में पन्द्रह से अधिक छात्रों ने पीएचडी की है। उनके निधन पर शहर सहित देश के इतिहासविदों, पुरातत्वविदों, संस्थाओं, उनके विद्यार्थियों ने शोक संवेदना जाहिर की है। उनके विद्यार्थियों ने कहा, जमीन में दबी सभ्यताओं के कई तथ्यों को उन्होंने खोजा और आगे खोजने के लिए शोधार्थी भी उन्होंने तैयार किए।

वरिष्ठ इतिहासविद डॉ. देव कोठारी, डॉ. जीएल मेनारिया, डॉ. जीवन खरकवाल, डॉ. कुलशेखर व्यास, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी आदि ने उनके निधन पर संवेदना व्यक्त की हैं।

‘इतिहास जगत की अपूरणीय क्षति’

ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक महासचिव डॉ. अजात शत्रु सिंह शिवरती ने डॉ. पाण्डेय के निधन को इतिहास जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि वे ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक संरक्षक थे। मेवाड़ ने एक शिक्षाविद खो दिया। ऐतिहासिक तथ्यों का गहराई से अध्ययन व विश्लेषण आधारित लेखन उनकी विशेषता थी। नये शोधार्थियों व इतिहास मे रुचि रखने वालों को उन्होंने सदैव प्रोत्साहित किया।