कोलकाता, 01 जनवरी।  चालू वित्त वर्ष समाप्त होने में सिर्फ तीन महीने बचे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र सरकार से ग्रामीण विकास के लिए मिली राशि खर्च नहीं कर पाई है।

15वें वित्त आयोग के तहत कुछ जिलों में दी गई धनराशि खर्च नहीं हो पाई है जिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में जिलाधिकारियों को संबंधित पंचायत अधिकारियों के साथ समन्वय बैठकें आयोजित करने के लिए कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके जिलों के लिए आवंटित अव्ययित धनराशि का चालू वित्तीय वर्ष के शेष तीन महीनों के दौरान उपयोग किया जाए।

केंद्र से मिली राशि का उपयोग न होने को लेकर भाजपा की ओर से शुरू किए गए अभियान की वजह से ममता बनर्जी की चिंता बढ गई है। भाजपा का कहना है कि एक तरु सत्‍तारूढ तृणमूल कांग्रेस मनरेगा योजनाओं के तहत केंद्रीय बकाया का भुगतान न करने के लिए केंद्र सरकार पर हमला कर रही है वहीं दूसरी तरु राज्य सरकार ग्रामीण विकास के लिए दी गई केंद्रीय राशि खर्च करने में असमर्थ है।

305.11 करोड़ रुपये के साथ, मुर्शिदाबाद जिले में सबसे अधिक अप्रयुक्त धनराशि पड़ी हुई है, इसके बाद दक्षिण 24 परगना में 298,03 करोड़ रुपये है। अन्य जिले जहां फंड का उपयोग कम हुआ है, वे हैं उत्तर 24 परगना, हुगली, पूर्वी बर्दवान, बीरभूम और नादिया, जहां 100 करोड़ रुपये तक की अव्ययित धनराशि है।

ग्रामीण विकास परियोजनाओं के लिए धन का उपयोग मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली के दो स्तरों, अर्थात् जिला परिषद और ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाता है।

विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि निगरानी की कमी के कारण चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में बिना खर्च की गई धनराशि जमा हो गई। वे यह भी बता रहे हैं कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की उपेक्षा करके राज्य सरकार ने वास्तव में ग्रामीण आबादी को उनके वैध देय से वंचित कर दिया है।