राज्य में पर्यटन के लिए चिन्हित 131 स्थानों को चार भागों में बांटा

रांची, 29 दिसंबर। झारखंड प्रकृति की गोद में बसा है। वैसे तो यहां वर्षभर लोग घूमने आते हैं लेकिन नये साल में यहां बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर झारखंड की धरती पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। यही कारण है कि यहां साल भर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। चाहे नए साल की शुरुआत हो या सावन का महीना। साथ ही राज्य धार्मिक और सांस्कृतिक के लिहाज से भी काफी लाभदायक है, जहां से सरकार को अच्छी खासी राजस्व की प्राप्ति होती है।

झारखंड के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई तरह के मास्टर प्लान बनाए गए हैं, जिसके तहत धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है। राज्य में पर्यटन के लिए चिन्हित 131 स्थानों को चार भागों में बांटा गया है। पहचाने गए 131 पर्यटन स्थलों में से 31 अंतरराष्ट्रीय महत्व के, 26 राष्ट्रीय महत्व के, 38 राज्य स्तरीय महत्व के और 36 स्थानीय महत्व के हैं। राज्य में स्थित अधिकांश पर्यटक स्थल रांची के आसपास हैं, जिनकी संख्या 17 है। इनमें पांच अंतरराष्ट्रीय महत्व के और चार राष्ट्रीय महत्व के हैं।

पर्यटन स्थल जहां से राज्य को होती है सर्वाधिक कमाई

  • देवघर: बैद्यनाथ धाम-12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस स्थल पर शिव और शक्ति का अद्भुत संगम है, जहां दर्शन के लिए वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नववर्ष के पहले दिन भी लोगों की भीड़ लगी रहती है।
  • दुमका: बासुकीनाथ धाम- धार्मिक मान्यता के अनुसार देवघर बैद्यनाथ धाम के बाद बासुकीनाथ का दर्शन किए बगैर यात्रा पूरी नहीं मानी जाती। यही वजह है कि यहां भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
  • गिरिडीह: पारसनाथ- जैन धर्मावलंबियों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
  • रामगढ़: छिन्नमस्तिका मंदिर- शक्तिपीठ के रूप में विख्यात इस मंदिर में बिना सिर वाली देवी मां की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • धनबाद: मैथन डैम- एक खूबसूरत झील और खूबसूरत हरे जंगलों के बीच यह मैथन डैम पर्यटकों के लिए खास जगह है।
  • पूर्वी सिंहभूम: जुबली पार्क, दलमा अभयारण्य।
  • प.सिंहभूम: हिरणी फॉल।
  • खूंटी: पंचघाघ फॉल, पेरवांघाघ, उलूंग जल प्रपात,रीमिक्स जलप्रपात, पेलौल डैम, रानी जलप्रपात, लतरातू जलाशय, डोम्बारी बुरू, उलिहातू, बिरसा मृग विहार, दशम जलप्रपात, बाबा आम्रेश्वर धाम, बघलता पर्यटन स्थल,प्रेमघाघ पर्यटन स्थल, पाट पहाड़, सरवादा चर्च।
  • चतरा: ईटखोरी।
  • हजारीबाग: हजारीबाग नेशनल पार्क और सूरजकुंड।
  • बोकारो: लुगु बुरु- इस स्थल को संतालियों के संस्कृति और परंपरा का उद्गम स्थल माना जाता है।
  • रांची: बिरसा जैविक उद्यान, दिउड़ी मंदिर, जोन्हा फॉल, पतरातू डैम।
  • गढ़वा: बंशीधर धाम- नगरऊंटारी में राधा कृष्ण मंदिर बाबा बंशीधर के नाम से जाना जाता है. मंदिर में स्थित मूर्ति सोने की बनी हुई है। यहां श्रद्धालुओं की भीड़ हमेशा लगी रहती है।
  • लातेहार: नेतरहाट और बेतला नेशनल पार्क।

झारखंड में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल काफी लाभदायक हैं। देवघर बैद्यनाथ मंदिर से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है। इसी तरह बासुकीनाथ मंदिर, पारसनाथ मंदिर, इटखोरी मंदिर, छिन्नमस्तिका मंदिर और बंशीधर धाम से भी भारी राजस्व मिलता है। राजस्व के साथ-साथ लाखों लोगों का रोजगार भी यहां से जुड़ा है।

दिसंबर-जनवरी माह में पिकनिक का दौर जारी रहता है। झारखंड की वादियों में हर पिकनिक स्पॉट पर्यटकों से भरा रहता है। नये साल के मौके पर रांची से सटे पर्यटक स्थलों पर पिकनिक का दौर कई दिनों तक चलता है। इस साल भी मौसम अनुकूल होने के कारण राज्य के पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी है।नये साल के लिए नेतरहाट से लेकर पतरातू डैम तक कमरे बुक हो गये हैं। पर्यटन विकास निगम के होटल पहले से बुक हो रहे हैं।

इस संबंध में राज्य के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि इस साल मौसम अनुकूल होने के कारण बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने के लिए अपने घरों से निकल रहे हैं। पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए पिकनिक स्पॉटों पर विशेष व्यवस्था की गयी है।

पतरातू और नेतरहाट यह सबसे बड़ा फोकस प्वाइंट है जहां नये साल पर बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इन जगहों से सरकार को भी मोटी कमाई होती है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा और अन्य प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर उन्होंने राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखा है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि पर्यटकों को कोई दिक्कत न हो।