
नई दिल्ली, 04 दिसंबर । इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे के रनवे 10 पर जीपीएस आधारित लैंडिंग समस्या तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि यह एक साइबर हमला हैं। यह विमानन सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है और सरकार इस खतरे से निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने गुरुवार को संसद में दी।
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री ने गुरुवार काे लोक सभा में पूछे गए सवाल के जबाव में बताया कि आईजीआई हवाई अड्डे के रनवे 10 पर जीपीएस -आधारित लैंडिंग प्रक्रिया का उपयोग करते समय कुछ उड़ानों ने नकली जीपीएस सिग्नल के हमले की शिकायत की थी। यह एक तरह का साइबर हमला है, इसे अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) भी एक साइबर हमला मानता है। इसमें हमलावर जानबूझकर नकली जीपीएस सिग्नल भेजते हैं। इससे विमान के नेविगेशन सिस्टम को धोखा मिलता है तथा उसे लगता है कि वह कहीं और है, जिससे उसे गलत स्थिति और भ्रामक चेतावनी मिलती है। जिन उड़ानों को यह समस्या हुई, उन्होंने तुरंत आकस्मिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की।
मंत्री ने बताया कि यह समस्या अब वैश्विक बन चुकी है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ संघर्ष जारी है।
उल्लेखनीय है कि, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने हवाई क्षेत्र में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) हस्तक्षेप की समस्या से निपटने के लिए विगत 24 नवंबर, 2023 को, एडवाइजरी सर्कुलर जारी किया है। इसके अलावा, आईजीआई एयरपोर्ट के आसपास जीपीएस स्पूफिंग की घटनाओं की तुरंत रिपोर्टिंग के लिए विगत 10 नवंबर को एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई थी। इसके अलावा, आईसीएओ और अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात संघ (आईएटीए) ने भी स्पूफिंग से बचाव और जोखिम मूल्यांकन के लिए विस्तृत योजनाएं प्रकाशित की हैं।
मंत्रालय के अनुसार, सरकार ने इस मामले की तह तक जाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने वायरलेस मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) से इस हस्तक्षेप के स्रोत का पता लगाने के लिए कहा है और उन्हें अतिरिक्त संसाधन जुटाने का निर्देश दिया गया है।





