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पटना, 05 नवंबर। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के 2,600 उम्मीदवारों में से 697 (27 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

यह आंकड़ा 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की तुलना में अधिक है, जब 25 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर मामलों की घोषणा की थी। इस बार उम्मीदवारों की संख्या भले ही कुछ कम हो, लेकिन दागी चेहरों का प्रतिशत बढ़ा है, जो बिहार की चुनावी राजनीति की चिंताजनक तस्वीर पेश करता है।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमे चल रहे हैं। इनमें से सीपीएम के 4 में से 4 उम्मीदवार (100 प्रतिशत), सीपीआई के 9 में से 6 उम्मीदवार (67 प्रतिशत), सीपीआई (एमएल) के 20 में से 13 उम्मीदवार (65 प्रतिशत), कांग्रेस के 60 में से 32 उम्मीदवार (53 प्रतिशत), लोजपा (रामविलास) के 28 में से 14 उम्मीदवार (50 प्रतिशत), आरजेडी के 140 में से 69 उम्मीदवार (49 प्रतिशत), भाजपा के 101 में से 49 उम्मीदवार (49 प्रतिशत), जन सुराज पार्टी के 231 में से 100 उम्मीदवार (43 प्रतिशत), जदयू के 101 में से 26 उम्मीदवार (26 प्रतिशत), आप के 83 में से 21 उम्मीदवार (25 प्रतिशत) और बीएसपी के 180 में से 28 उम्मीदवार (16प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिहार की लगभग हर पार्टी ने आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, 94 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े मामले घोषित किये हैं, जिनमें 5 उम्मीदवार बलात्कार के आरोपित हैं। वहीं 52 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या के मामले और 165 उम्मीदवारों ने हत्या के प्रयास के मामले घोषित किये हैं।