पूर्व मेदिनीपुर, 27 अक्टूबर : “राष्ट्राय स्वाहा, इदं न मम” अर्थात् कुछ भी मेरा नहीं, सब कुछ राष्ट्र के लिए समर्पित। इसी प्रेरणादायक भाव को पाथेय बनाकर भारतमाता की सेवा में निष्ठापूर्वक कार्यरत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने सौ वर्ष पूरे किए हैं। शताब्दी वर्ष के इस ऐतिहासिक अवसर को स्मरणीय बनाने तथा भारत आत्मा के पुनर्जागरण का संदेश समाज तक पहुंचाने के उद्देश्य से रविवार शाम कांथी टाउनहॉल में विशिष्ट नागरिक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र सह-प्रचार प्रमुख एवं टाटा इंस्टीट्यूट्स ऑफ सोशल साइंसेज के वैज्ञानिक डॉ. जीष्णु बसु। डॉ. बसु ने कहा कि भारतवर्ष सदा से ही हिंदू जीवन दर्शन का प्रतीक रहा है। हिंदू धर्म कोई पंथ नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है जिसमें सत्य, अहिंसा, आत्मबल, संयम और परस्पर प्रेम जैसे मूल्य निहित हैं।
डॉ. बसु ने कहा कि “स्वयंसेवक” का अर्थ है स्वयं को सेवा कार्य में समर्पित कर देना, देश और समाजहित में अपना जीवन अर्पित कर देना। संघ बीते 100 वर्षों से जनसेवा की इसी परंपरा को निभाते हुए समाज में पारिवारिक एकता, नैतिकता और समरसता को सुदृढ़ करने के लिए सतत कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में अनुलिपि विभाग के कार्यवाह गोपाल सामंत, सहकार्यवाह गोपाल खांडा, कांथि खंड कार्यालय के पार्थ दास तथा भवतरन मुखर्जी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सम्मेलन में बड़ी संख्या में नागरिकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जब पूरा सभागार “भारत माता की जय” के उद्घोष से गूंज उठा।
