कोलकाता, 21 दिसंबर। पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस पर यादवपुर विश्वविद्यालय की कोर्ट मीटिंग आयोजित करने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया। इसकी वजह से 24 दिसंबर को विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह के आयोजन की अनुमति मिल सकती थी। गत 18 दिसंबर को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में दीक्षांत समारोह के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई और उच्च शिक्षा विभाग से कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन देने का अनुरोध किया गया। हालांकि, कार्यकारी परिषद की बैठक के बाद एक कोर्ट मीटिंग होती है जो विश्वविद्यालय के विधान के अनुसार दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय को अंतिम मंजूरी देती है। बसु ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्च शिक्षा विभाग ने संस्थान की लंबी विरासत और छात्रों के हित को देखते हुए कई कानूनी बाधाओं के बावजूद 24 दिसंबर को दीक्षांत समारोह के आयोजन की सहमति दी थी, लेकिन माननीय राज्यपाल ने कानूनी अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए, ‘कोर्ट मीटिंग’ आयोजित करने की अनुमति नहीं दी, जो कि दीक्षांत समारोह के लिए जरूरी है।’’

पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा मंत्री बसु ने कहा, ‘‘हालांकि, उन्होंने (राज्यपाल ने) अन्य राज्य विश्वविद्यालयों की ‘कोर्ट मीटिंग’ आयोजित करने की अनुमति दी थी। फिर उनका वास्तविक उद्देश्य क्या है? राज्य सरकार का विरोध, छात्रों के अधिकारों की रक्षा न करने का एकमात्र मकसद प्रतीत होता है।’’

बसु ने इससे पहले दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर यादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति बुद्धदेव साव और रजिस्ट्रार स्नेहामंजू बोस से मुलाकात की थी, जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने यादवपुर विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय को दीक्षांत समारोह आयोजित करने से संबंधित उपायों पर चर्चा करने के लिए कार्यकारी परिषद बैठक आयोजित करने की अनुमति दी थी। राज्यपाल पदेन कुलाधिपति भी हैं और वह विश्वविद्यालय के अनुरोध पर ‘कोर्ट मीटिंग’ आयोजित करने की अनुमति देते हैं। साव ने मंगलवार को कहा था कि उन्होंने राज्यपाल को पत्र भेज दिया है लेकिन विश्वविद्यालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि पत्र अभी तक राजभवन से नहीं पहुंचा है। इस बीच, यादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेयूटीए) ने शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया में तेजी लाने, परियोजना उपकरणों के लिए वित्त पोषण मंजूर करने आदि मांगों को लेकर कार्यवाहक कुलपति के कमरे के बाहर बुधवार देर रात तक धरना दिया।

जेयूटीए महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा कि कार्यवाहक कुलपति ने पदोन्नति और परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण जैसे मुद्दों से संबंधित कदम उठाए हैं। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि राजभवन से ‘कोर्ट मीटिंग’ आयोजित करने की मंजूरी नहीं मिलती है, तो यादवपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को रद्द करना होगा, उस स्थिति में उच्च शैक्षणिक संस्थान को छात्रों, शोधकर्ताओं को डिग्री, प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए अन्य कदमों पर विचार करना चाहिए।