
कोलकाता, 6 सितम्बर। प्रभु राम के शरणागत स्वभाव को जो मनुष्य समझ लेता है, उसका मन अन्य देवताओं के भजन में नहीं लगता। प्रभु राम के इसी शरणागत भाव को जानकर ही वानर और भालू दल उनके साथ हो गए। रामजी ने विभीषण को लंका का राजा बनाकर अपने पक्ष में लिया और सबके मुख से जय-जयकार गूंज उठी।
गृहस्थ पुरुषोत्तम तिवारी ने कहा कि भगवान सबको जानते हैं, सबके हृदय में रहते हैं, सर्वरूप हैं और उदासी स्वरूप भी हैं। फिर भी वे नीति के प्रतिपालक हैं। यही कारण है कि उन्होंने मनुष्य शरीर धारण किया।
उन्होंने रामकथा का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रभु राम सुग्रीव, विभीषण और जामवंत से पूछते हैं— “यह समुद्र तो बहुत गहरा है, इसे किस प्रकार पार किया जाए?” उनका यह प्रश्न बताता है कि वे नीति-प्रतिपालक हैं और सबको साथ लेकर चलने वाले हैं।
यह प्रवचन सत्संग भवन ट्रस्ट मंडल एवं विश्वदेवानंद चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में, पद्मश्री से सम्मानित डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र की पावन स्मृति में आयोजित श्रीरामकथा के अंतर्गत सुंदरकांड पर हुआ।
कार्यक्रम स्वामी कृष्णानंद सभागार में आयोजित किया गया। व्यासपीठ के आग्रह पर विद्यार्थियों और श्रद्धालुओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से पुरुषोत्तम तिवारी का स्वागत किया और मंच संचालक महावीर प्रसाद रावत को उनके 75वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई दी।
इस अवसर पर समाजसेविका बबीता दीवान ने विद्यार्थियों, शिक्षकों और शिक्षिकाओं को सम्मानित किया।
कार्यक्रम में डॉ. शिप्रा मिश्र, डॉ. कमल कुमार, दिव्या प्रसाद, दीक्षा गुप्ता, परम पंडित, अशोक तिवारी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।







