
कोलकाता, 02 सितंबर । पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े ‘दागी अयोग्य’ उम्मीदवारों को लेकर दायर याचिका को मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि वे इतने दिन चुप क्यों रहे और एसएससी की सूची प्रकाशित होते ही कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब बहुत हो गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जब एसएससी ने सूची जारी की है, तो आप कैसे कह सकते हैं कि आप ‘दागी अयोग्य’ नहीं हैं? 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद आप स्कूल नहीं गए, अब अचानक याचिका दाखिल कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसएससी ने पिछले सप्ताह एक हजार 806 दागी अयोग्य उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित की थी। निर्देशानुसार, ये उम्मीदवार आगामी सात और 14 सितंबर को होने वाली भर्ती परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेंगे। लेकिन सूची आने के बाद ही याचिकाकर्ता उम्मीदवार हाईकोर्ट पहुंचे और दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से ‘दागी’ करार दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनिंद्य लाहिड़ी और शाक्य सेन ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ‘दागी उम्मीदवार’ की उस श्रेणी में नहीं आते, जिसे डिविजन बेंच ने परिभाषित किया था। उनका कहना था कि उन्होंने परीक्षा में एक न एक प्रश्न का उत्तर जरूर दिया था, इसलिए उन्हें पूरी तरह अयोग्य नहीं माना जा सकता।
वहीं, आयोग की ओर से अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने तर्क दिया कि सभी याचिकाकर्ता ओएमआर शीट में हेरफेर कर “रैंक जंप” करके नौकरी पाने में सफल हुए। उन्होंने कहा कि इस पर बहस करने का कोई औचित्य नहीं है। सीबीआई की जांच में जो सूची सामने आई, उसे एसएससी ने मिलाकर देखा। सभी उम्मीदवार अयोग्य साबित हुए हैं।
न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने पूछा कि अगर उम्मीदवार 31 दिसंबर तक स्कूल नहीं गए थे तो उस समय वे कोर्ट क्यों नहीं आए। उन्होंने याचिकाकर्ताओं से कहा कि जब आपको स्कूल में जाने से रोका गया, तब आपने क्यों आवाज़ नहीं उठाई? अब परीक्षा का समय आ गया तो आप याचिका लेकर आ गए।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी सवाल उठाया कि जब उन्हें एडमिट कार्ड जारी किया गया था तो बाद में परीक्षा से बाहर क्यों किया गया। लेकिन अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसएससी द्वारा प्रकाशित ‘दागी अयोग्य’ उम्मीदवारों की सूची में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। लिहाजा, याचिकाकर्ता उम्मीदवार अब आगामी भर्ती परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे।