
पूर्वी सिंहभूम, 26 अगस्त । झारखंड के पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) स्थित मानगो इलाके का रहने वाला सैयद मोहम्मद अर्शियान उर्फ हैदर अब अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर में खतरनाक आतंकियों में शामिल हो चुका है। उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है।
यह कार्रवाई भारत के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आग्रह पर की गई है। अर्शियान पर इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस ) के लिए आत्मघाती ड्रोन और छोटी दूरी की मिसाइलें डिजाइन करने का गंभीर आरोप है। ऐसा माना जा रहा है कि उसने आतंकवाद के क्षेत्र में तकनीकी हस्तक्षेप कर हथियारों की संरचना में बड़ा बदलाव किया है, जिससे आतंकी संगठनों की मारक क्षमता कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
करीब 40 वर्षीय अर्शियान 2017 से तुर्की में रह रहा है। उसके अतीत की परतें जब खुलीं, तो यह सामने आया कि उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2005 में वह बेंगलुरु गया और कुछ समय के लिए एक मदरसे में भी पढ़ाई की, लेकिन उस समय उसके चरमपंथी गतिविधियों से जुड़ाव का कोई प्रमाण नहीं मिला।
2008 में अर्शियान सऊदी अरब के दम्मम पहुंचा, जहां उसे एक सॉफ्टवेयर डेवलपर की नौकरी मिली। वहीं उसकी मुलाकात चेचन मूल की बेल्जियम नागरिक अलीना हैदर से हुई, जिससे उसने विवाह किया और उनकी एक बेटी भी है। लेकिन इसी दौरान उसका घर कथित रूप से भारत से जुड़े जिहाद समर्थकों का अड्डा बन गया।
2012 से 2015 के बीच अर्शियान ने दम्मम में कई बैठकें कीं, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा के लिए भारतीय युवाओं की भर्ती की रणनीति बनाई गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह मौलवी अब्दुल रहमान अली खान के संपर्क में आया, जो ओडिशा सैन्य पुलिस के एक पूर्व अधिकारी का पुत्र था। 2015 में अर्शियान ने अब्दुल रहमान को पाकिस्तान भेजने के लिए यूएई के रास्ते वित्तीय सहायता भी दी, जहां उसकी लश्कर के वरिष्ठ कमांडरों से मुलाकात हुई।
अर्शियान को अल-कायदा के लिए भी भारत से संभावित भर्ती की जिम्मेदारी दी गई थी। 2017 में उसके भाई सैयद मोहम्मद जीशान अली हैदर को सऊदी अरब से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया और दिल्ली में गिरफ्तार किया गया।
अब जबकि इंटरपोल ने अर्शियान के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है, उसकी गिरफ्तारी और भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को गति मिल सकती है। यह कदम वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से लड़ाई के प्रयासों में एक निर्णायक पहल माना जा रहा है।
रेड कॉर्नर नोटिस वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की चेतावनी होती है, जो किसी आरोपित के देश से फरार होने के बाद दूसरे देशों की एजेंसियों को उसके खिलाफ सतर्क करती है। हालांकि, यह सीधे तौर पर गिरफ्तारी वारंट नहीं होता, लेकिन इससे आरोपित को अस्थायी तौर पर गिरफ्तार करने और प्रत्यर्पण की राह सुगम हो जाती है।