कोलकाता, 26 अगस्त । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर दूसरे राज्यों में बंगाल के प्रवासी श्रमिकों पर हो रहे उत्पीड़न का मुद्दा उठाया। मंगलवार को श्रमश्री परियोजना की शुरुआत करते हुए उन्होंने सवाल किया कि बंगाल के श्रमिकों को “दमाद के आदर” से काम पर बुलाया जाता है, लेकिन बाद में उनके साथ मारपीट, अपमान और भेदभाव क्यों किया जाता है।

ममता ने कहा कि बंगाल से करीब 22 लाख लोग काम करने के लिए बाहर जाते हैं। “कोई सोने का काम बेहतर करता है, कोई कपड़ा सिलाई में माहिर है, कोई निर्माण कार्य में कुशल है। इन्हें इसलिए बुलाया गया क्योंकि ये अपने क्षेत्र में दक्ष हैं। इनकी किस्मत में आज अपमान और अत्याचार लिखा जा रहा है।”

मुख्यमंत्री ने ओडिशा, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में बंगालियों के साथ हो रहे कथित भेदभाव को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि बंगाल में डेढ़ करोड़ दूसरे राज्यों के लोग रहते हैं, लेकिन उनके साथ यहां कभी कोई भेदभाव नहीं हुआ। तो फिर हमारे श्रमिकों को क्यों सताया जा रहा है? क्या हमारे लोगों को इंसान नहीं समझा जाता?

अपने भाषण में उन्होंने बंगाल की प्रतिभा और मेधा को भी रेखांकित किया। ममता ने कहा कि बंगाल के छात्रों और शोधकर्ताओं की मेधा को पूरी दुनिया सम्मान करती है। हार्वर्ड, कैम्ब्रिज या नासा —इन सब संस्थानों में हमारे लोग हैं। हमारी मेधा को कोई हटा नहीं सकता।

ममता ने एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों से राज्य लौटने की अपील की और श्रमश्री परियोजना के तहत आर्थिक मदद का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि इस योजना में हर श्रमिक को पांच हजार रुपये की सहायता दी जाएगी और उनके बच्चों की शिक्षा समेत सभी सरकारी योजनाओं के दायरे में उन्हें शामिल किया जाएगा।