कोलकाता, 26 अगस्त । पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को साल्टलेक स्थित भाजपा कार्यालय में, प्रेस वार्ता कर राज्य की तृणमूल सरकार पर आदिवासी समाज के उत्पीड़न और आरक्षण से वंचित करने का गंभीर आरोप लगाया है।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि देश के जल, जंगल और जमीन की रक्षा में आदिवासी समाज की भूमिका हमेशा अतुलनीय रही है। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू मुर्मू जैसे नेताओं के नेतृत्व में हुए हूल विद्रोह और आंदोलनों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा आदिवासी समाज को प्राथमिकता देते आए हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू का चुना जाना है। उस समय तृणमूल कांग्रेस ने उनका विरोध करते हुए उनके खिलाफ वोट किया था।

आरक्षण से वंचित आदिवासी

अधिकारी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में आदिवासियों को केवल छह प्रतिशत और अनुसूचित जातियों को 22 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जिसके चलते आदिवासी कई सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं। खाद्य विभाग में 15 हजार रुपये वेतन वाली कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों में भी आरक्षण लागू नहीं किया गया, जबकि केंद्र का एससी एसटी आयोग स्पष्ट कर चुका है कि कॉन्ट्रैक्ट, पार्ट-टाइम और प्रोबेशन पदों पर भी आरक्षण अनिवार्य है।

तृणमूल पर आदिवासियों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए

भाजपा नेता ने कई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 15 अगस्त को मेदिनीपुर चर्च स्कूल मैदान में आदिवासी समुदाय से जुड़े एक शिक्षक और फुटबॉल रेफरी का तृणमूल नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर अपमान किया। इसके अलावा 18 अगस्त को डेबरा ब्लॉक के लोएदा क्षेत्र के आदिवासी युवक डॉक्टर सोरेन को आबकारी विभाग के अधिकारियों ने घर से उठाकर हत्या कर दी। ये सारी घटनाएं बंगाल में तृणमूल शासन के दौरान हो रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य में आदिवासी समाज निरंतर अत्याचार का शिकार हो रहा है। कभी आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है, तो कभी आबकारी पुलिस द्वारा उत्पीड़न। एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा है। इसके लिए केवल तृणमूल सरकार जिम्मेदार है।

प्रेस वार्ता के अंत में शुभेंदु अधिकारी ने इन घटनाओं से संबंधित कुछ वीडियो क्लिप भी पत्रकारों के सामने प्रस्तुत किए हैं।