
हुगली, 25 अगस्त । हुगली ज़िले के पुरशुड़ा ब्लॉक के श्रीरामपुर गांव में एक कलयुगी बेटे के अपनी 80 वर्षीया मां चांपा प्रमाणिक को मारपीट कर घर से निकाल दिया है। इतना ही नहीं, पुरशुड़ा बीडीओ कार्यालय में जाकर उसने मां को मृत घोषित कर दिया।
करीब दो महीने से वृद्धा चांपा प्रमाणिक पुरशुड़ा ग्रामीण अस्पताल के गेट पर अकेली पड़ी रहती हैं। सामने जंगल है, रात में सियारों का आतंक रहता है। स्थानीय लोगों को डर है कि कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है।
दुर्भाग्य से, चांपा प्रमाणिक को न तो विधवा पेंशन, न वृद्धा पेंशन, और न ही “बांग्ला आवास योजना” का लाभ मिल सका है। उल्लेखनीय है कि अभी राज्य सरकार की ओर से पूरे राज्य में आमादेर पाड़ा आमादेर समाधान कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
गांव के एक चाय दुकानदार खोकन धक अपनी मामूली आय से उन्हें चाय, पाव, बिस्कुट और कभी-कभी घुगनी-मूड़ी खिलाते हैं। अस्पताल की एक रसोइया रोज़ दोपहर में उन्हें चावल देती हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने इस पर आपत्ति जताई है।
चंपा ने रोते हुए बताया, “मुझे बेटे और बहू ने मारकर घर से निकाल दिया। मेरी ज़मीन की रजिस्ट्री छीन ली, घर तोड़ दिया। एक बार वृद्धा पेंशन मिली थी, फिर कभी नहीं। बीडीओ ऑफिस गई थी, कहा गया मिलेगा, लेकिन कुछ नहीं मिला। सरकार मेरी सुध ले, मुझे खाने को दे और बेटे को सज़ा दे।”
जब पत्रकारों ने आरोपित बेटे गौतम से इस बारे में सवाल पूछा तो वह भड़क उठा और बोला, “कौन है वो औरत? वो मेरी मां नहीं है। मैंने उसे मारा और निकाल दिया, सही किया। उसने मुझे कुछ नहीं दिया, इसलिए निकाल दिया। अब चाहे जैसे रहे, मुझे कोई मतलब नहीं।” इसके बाद उसने पत्रकार को भी धक्का देकर भगा दिया।
स्थानीय चाय दुकानदार खोकन ने कहा, “देखिए इस कपूत बेटे की करतूत। आधार कार्ड लेकर बीडीओ दफ़्तर जाकर कह दिया कि मां मर चुकी है। यह इंसान कहलाने लायक भी नहीं।”
पुरशुड़ा पंचायत समिति के उपाध्यक्ष शेख खोकन ने कहा, “यह बहुत अमानवीय घटना है। सोमवार को ऑफिस पहुंचकर इस मामले को प्राथमिकता से देखेंगे। जो-जो सरकारी लाभ बनता है, वह वृद्धा को दिलाया जाएगा। बेटे के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है, यह भी देखा जाएगा।”