
कोलकाता, 23 अगस्त। पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर भवानीपुर और नंदीग्राम दो प्रमुख रणभूमि बनकर उभर रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गढ़ भवानीपुर पर फोकस कर रहे हैं, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम में अपनी रणनीति तेज कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, भाजपा ने भवानीपुर में बूथ-स्तरीय ताकत और कमजोरियों का पता लगाने के लिए “स्पेशल सर्वे” शुरू किया है।
शुभेंदु अधिकारी का मानना है कि ममता बनर्जी को इस सीट पर खुला मैदान नहीं मिलना चाहिए। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी हर मतदाता का ब्योरा इकट्ठा कर रही है और क्षेत्र में एक विशेष कार्यालय खोलने पर भी विचार हो रहा है।
गौरतलब है कि शुभेंदु अधिकारी ने हाल ही में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर कहा था कि इस बार हजारों फर्जी नाम हटेंगे और हम सुनिश्चित करेंगे कि ममता बनर्जी भवानीपुर से हारें।
इधर, तृणमूल कांग्रेस ने नंदीग्राम पर फोकस करना शुरू कर दिया है। 2021 के चुनाव में यहीं ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच ऐतिहासिक मुकाबला हुआ था, जिसमें अधिकारी महज़ एक हजार 956 वोटों से जीते थे। यह मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी लगातार जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं से बैठक कर रहे हैं और जल्द ही बूथ अध्यक्षों व जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ विशेष बैठक बुलाने की योजना है।
यह मुकाबला अब केवल दो सीटों का नहीं, बल्कि ममता बनर्जी बनाम शुभेंदु अधिकारी और अभिषेक बनर्जी बनाम शुभेंदु अधिकारी की प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती के शब्दों में दोनों दल यह साबित करना चाहते हैं कि प्रतिद्वंद्वी का गढ़ अजेय नहीं है।
उल्लेखनीय है कि भवानीपुर जहां ममता बनर्जी का दशकों पुराना गढ़ माना जाता है, वहीं नंदीग्राम उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक बाज़ी का गवाह है। 2007 के नंदीग्राम आंदोलन ने ही वाममोर्चा सरकार की जड़ें हिलाई और ममता बनर्जी को सत्ता तक पहुंचाया था। उस समय शुभेंदु अधिकारी उनके सबसे भरोसेमंद सहयोगी थे, लेकिन 2020 में वे भाजपा में शामिल हो गए।
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भवानीपुर और नंदीग्राम की यह जंग बंगाल की राजनीति में सबसे अहम मोर्चा बनने जा रही है।