पश्चिम सिंहभूम, 22 अगस्त ।  करोड़ों की लागत से बने सदर अस्पताल पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) की हकीकत मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। चमचमाती इमारत के भीतर न तो पीने के पानी की सही व्यवस्था है और न ही स्वच्छता का ध्यान रखा गया है। मरीजों और उनके परिजनों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

अस्पताल में पीने के पानी की समस्या सबसे बड़ी है। महिला और पुरुष वार्डों में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। केवल कैंटीन और ओपीडी में पानी उपलब्ध है। कैंटीन में गर्म पानी पांच और सामान्य पानी दो रुपये प्रति बोतल बेचा जाता है, जबकि ओपीडी में लगी मशीन से मिलने वाले पानी की गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं है। कई बार मरीजों को सिर्फ पीने का पानी लाने के लिए दो मंज़िल नीचे उतरना पड़ता है।

स्वच्छता की स्थिति भी बेहद खराब है। अस्पताल के शौचालयों में दरवाजे टूटे हुए हैं और सफाई की हालत इतनी बदतर है कि वहां से उठती दुर्गंध मरीजों के स्वास्थ्य के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकती है।

बेड की कमी भी बड़ी समस्या है। कई मरीजों को मजबूरन ज़मीन पर या बेंच पर लेटना पड़ रहा है।

शुक्रवार को युवा भाजपा नेता दुवारिका शर्मा ने इस स्थिति पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 215 करोड़ की लागत से बने इस अस्पताल में यदि 25 लाख पीने का साफ पानी, स्वच्छ शौचालय और पर्याप्त बेड जैसी सुविधाओं पर खर्च किए जाएं, तो मरीजों को बड़ी राहत मिल सकती है। उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत इस दिशा में ठोस कदम उठाए ताकि अस्पताल की वास्तविक स्थिति बेहतर हो और लोगों को इलाज के साथ-साथ बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध हो सकें।