
नई दिल्ली, 21 अगस्त। भारत और श्रीलंका की नौसेनाओं ने कोलंबो में द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘स्लिनेक्स’ के 12वें संस्करण में साझा प्रतिबद्धता और समुद्री सुरक्षा की पुष्टि की। समुद्री चरण में भारतीय नौसेना के जहाजों ज्योति और राणा ने श्रीलंकाई नौसेना के जहाजों गजबाहु और विजयबाहु के साथ समुद्री अभ्यास किये। इस पहल ने भारत और श्रीलंका के बीच आपसी समझ को मजबूत करने, समुद्री कूटनीति को बढ़ावा देने और संबंधों को मजबूत करने में मदद की।
श्रीलंका में भारतीय नौसैनिक जहाजों की तैनाती ने भारत-श्रीलंका की बढ़ती समुद्री साझेदारी में एक और अध्याय के रूप में कार्य किया, जिसने क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप स्थिरता और सुरक्षा में योगदान दिया। भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास स्लिनेक्स का 12वां संस्करण दो चरणों में आयोजित किया गया। कोलंबो में बंदरगाह चरण 14 से 16 अगस्त तक और समुद्री चरण 17 से 18 अगस्त तक हुआ। इस अभ्यास में पूर्वी बेड़े से भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस ज्योति और आईएनएस राणा तथा श्रीलंकाई नौसेना के अग्रिम अपतटीय गश्ती पोत गजबाहु और एसएलएनएस विजयबाहु शामिल हुए।
बंदरगाह चरण के दौरान पेशेवर बातचीत, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान, अग्निशमन, क्षति नियंत्रण, विमानन संचालन और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत पर पारस्परिक प्रशिक्षण, मैत्रीपूर्ण खेल प्रतियोगिताएं और एक प्री-सेल सम्मेलन शामिल थे। समुद्री चरण में उन्नत नौसैनिक अभ्यासों की एक विस्तृत शृंखला का सफल आयोजन हुआ, जिसमें संयुक्त अभ्यास, तोपखाने की क्रमिक फायरिंग, संचार प्रोटोकॉल, नेविगेशन, साथ ही नाविक कौशल विकास, विजिट बोर्ड सर्च एंड सीजर और ईंधन भरना शामिल थे। श्रीलंका में भारतीय नौसैनिक जहाजों की तैनाती ने भारत-श्रीलंका समुद्री साझेदारी में एक और अध्याय जोड़ा।
कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचने पर आईएनएस ज्योति और आईएनएस राणा के कमांडिंग ऑफिसर्स ने पश्चिमी नौसेना क्षेत्र (डब्ल्यूएनए) के कमांडर रियर एडमिरल चंदिमा सिल्वा से मुलाकात में द्विपक्षीय नौसैनिक सहयोग बढ़ाने तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर चर्चा की। उन्होंने भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) स्मारक पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की, जहां 1987 और 1990 के बीच श्रीलंका में शांति अभियानों के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई। भारतीय जहाजों को आगंतुकों के लिए खोल दिया गया, जिनमें श्रीलंकाई नौसेना के कर्मचारी, सरकारी अधिकारी, छात्र और प्रवासी भारतीय शामिल थे।