
नई दिल्ली, 19 अगस्त । राज्यसभा ने मंगलवार को खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 पारित कर दिया। यह विधेयक लोकसभा से 12 अगस्त को ही पारित हो चुका है। यह विधेयक खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में और संशोधन करेगा। विधेयक में प्रावधान है कि पट्टाधारक मौजूदा पट्टे में अन्य खनिजों को जोड़ने के लिए राज्य सरकार को आवेदन कर सकते हैं। विधेयक पारित करने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार को 11 बजे तक स्थगित कर दी गयी।
सदन की कार्यवाही दोबारा दोपहर दो बजे शुरू होते ही पीठासीन सभापति घनश्याम तिवाड़ी ने केंद्रीय खान मंत्री जी. किशन रेड्डी को खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025 पर चर्चा के लिए नाम पुकारा। इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्ष बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की मांग कर रहा है। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि सदन में केवल विधायी कार्य ही होने चाहिए। इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।
इस बीच खान मंत्री रेड्डी ने खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025 पर बहस शुरू की। इस विधेयक पर भाजपा सदस्य मयंक कुमार नायक (गुजरात), दीपक प्रकाश (झारखंड) और सीमा द्विवेदी (उत्तर प्रदेश) तथा राकांपा सदस्य प्रफुल्ल पटेल ने विधेयक के पक्ष में अपनी बात रखी। इसके साथ वाईएसआरसीपी सदस्य अयोध्या रामी रेड्डी अल्ला और बीजद सदस्य मानस रंजन मंगराज ने विधेयक के पक्ष में अपनी बात रखी। विधेयक पर जवाब देते हुए जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक में समग्र सरकारी दृष्टिकोण से प्रस्तुत संशोधन शामिल हैं, जो सहकारी संघवाद की भावना से निर्देशित हैं और उद्योग जगत के नेताओं एवं हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद तैयार किए गए हैं। इन छह संशोधनों का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 20214 में नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से कोयला आवंटन और खान मंत्रालय के कामकाज में काफ़ी सुधार हुआ है। केंद्र सरकार ने खनन क्षेत्र में “क्रांतिकारी बदलाव” लाए हैं। 2014 के बाद से खनन मंत्रालय में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से उत्पादन बढ़ा है और भारत अब दूसरा सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता है। छत्तीसगढ़ की गेवरा कोयला खदान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खदान है।
विधेयक में प्रावधान है कि पट्टाधारक मौजूदा पट्टे में अन्य खनिजों को जोड़ने के लिए राज्य सरकार को आवेदन कर सकते हैं। महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक खनिजों और अन्य निर्दिष्ट खनिजों को शामिल करने के लिए कोई अतिरिक्त राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इनमें लिथियम, ग्रेफाइट, निकल, कोबाल्ट, सोना और चांदी जैसे खनिज शामिल हैं। यह अधिनियम देश में खनिज अन्वेषण के वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना करता है। यह विधेयक ट्रस्ट के दायरे का विस्तार करता है ताकि खानों और खनिजों के विकास के लिए भी धन मुहैया कराया जा सके। अधिनियम के तहत कैप्टिव खानों को अंतिम उपयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद एक वर्ष में उत्पादित खनिजों का 50 प्रतिशत तक बेचने की अनुमति है। यह विधेयक खनिजों की बिक्री की सीमा को हटाता है।