
शिमला, 17 अगस्त । हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की तबाही लगातार जारी है। भारी बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई जिलों में घर, दुकानें, पशुशालाएं और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, वहीं नदी-नाले उफान पर हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार बीते 24 घण्टों में राज्य में 71 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, रविवार शाम तक प्रदेश में तीन नेशनल हाईवे और 352 सड़कें अवरुद्ध रहीं, जिनमें अकेले मंडी जिले की 201 सड़कें शामिल हैं। कुल्लू में 63, सिरमौर में 28 और कांगड़ा में 27 सड़कें ठप रहीं। कुल्लू में एनएच-305, किन्नौर में एनएच-5 और मंडी में एनएच-21 पर यातायात प्रभावित है।
राज्य में 1,067 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जिनमें से 557 सिर्फ कुल्लू जिले में हैं। 116 पेयजल योजनाएं भी ठप हो चुकी हैं।
बीते 24 घंटों में कटुआला (मंडी) में 120 मिमी, कांगड़ा और नगरोटा सूरियां में 110-110 मिमी, नाहन में 100 मिमी, जोगिंद्रनगर में 80, पांवटा साहिब में 70 और भुंतर में 60 मिमी बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने 18 अगस्त को चंबा और कांगड़ा जिलों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। 19 और 20 अगस्त को भी वर्षा के आसार हैं, जबकि 21 से 23 अगस्त के बीच तेज बारिश और अंधड़ का नया दौर शुरू होने की संभावना है।
आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, इस मानसून सीजन में अब तक 263 लोगों की मौत हो चुकी है, 37 लापता हैं और 332 घायल हुए हैं। मृतकों में मंडी में सर्वाधिक 47, कांगड़ा में 41, चंबा में 31, शिमला में 26, किन्नौर में 24, कुल्लू में 22, हमीरपुर और सोलन में 16-16, ऊना में 14, बिलासपुर में 10, सिरमौर में 9 और लाहौल-स्पीति में 7 लोगों की जान गई है।
मॉनसून सीजन में बारिश व भूस्खलन से 2456 मकान क्षतिग्रस्त हुए जिनमें 581 पूरी तरह ढह गए हैं, 361 दुकानें और 2201 पशुशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं। अकेले मंडी में 1296 मकानों को नुकसान हुआ है जिनमें 442 पूरी तरह गिर गए। 287 दुकानें और 1219 पशुशालाएं भी इसी जिले में तबाह हुई हैं।
बारिश और भूस्खलन से प्रदेश में अब तक 1626 पशुओं और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है। बीते 24 घंटों में ही 71 घर क्षतिग्रस्त हुए जिनमें 41 मंडी जिले में हैं। सरकारी आकलन के मुताबिक राज्य को अब तक 2173 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें लोक निर्माण विभाग को 1216 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 697 करोड़ की क्षति पहुंची है। प्रदेश में अब तक 66 भूस्खलन, 74 बाढ़ और 36 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
इस बीच बीती रात कुल्लू जिले में कई इलाकों में नालों में बाढ़ से फसलें और भूमि क्षतिग्रस्त हुई हैं। पिरडी में तीन गाड़ियां बह गईं, जबकि भुंतर बाजार में पानी घुस आया। मणिकर्ण घाटी के रसोल और नौरी फाटी कशावरी में मकान, पुलिया और घराट क्षतिग्रस्त हुए। निरमंड और बंजार क्षेत्र में भी मकानों और गौशालाओं को नुकसान पहुंचा है। सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में बाता और यमुना नदी उफान पर हैं जिससे एनएच-707 पर आवजाही बाधित हो रही है और कई रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया।
शिमला-करसोग मार्ग पर तत्तापानी के पास सड़क का हिस्सा ढह गया है और सतलुज का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सुन्नी-तत्तापानी का मुख्य पुल भी खतरे की जद में आ गया है। सिरमौर जिले में गिरि जटोंन डैम से छोड़ा गया पानी निचले इलाकों में खतरा बढ़ा रहा है।
इधर, बिलासपुर जिले में आसमानी बिजली गिरने से रविवार को चार मवेशियों की मौत हो गई और एक महिला घायल हो गई। महिला का जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है। प्रशासन ने प्रभावित परिवार को सहायता का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों में हुए नुकसान की समीक्षा कर प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत देने के निर्देश दिए हैं।