
कोलकाता, 16 अगस्त। फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी व अभिनेत्री-निर्माता पल्लवी जोशी के फिल्म द बंगाल फाइल्स के ट्रेलर लॉन्च कार्यक्रम को लेकर शनिवार कोलकाता में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। कोलकाता पुलिस ने मीडिया के सामने ऐसा बर्ताव किया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।
काेलकाता पुलिस ने पांच सितारा होटल आईटीसी रॉयल बंगाल में कार्यक्रम को बीच में राेकते हुए कॉन्फ्रेंस हॉल की बिजली काट दी। इसके साथ ही हफिल्म का ट्रेलर दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा लैपटॉप तक जब्त कर लिया। इसके बाद विवेक अग्निहोत्री को पुलिस ने इस तरह घेर दिया कि वह मीडिया से बात तक ना कर पाएं। स्थित यह थी कि कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तक ट्रेलर लॉन्च के मंच पर चढ़ गए थे। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर विवेक अग्निहोत्री ने राज्य सरकार और पुलिस पर तानाशाही रवैये का आरोप लगाते हुए कहा कि “बंगाल में बड़ी ताकतों के इशारे पर सच को दबाने की कोशिश की जा रही है।”
विवेक के अनुसार, शुक्रवार देर रात वह मुंबई से कोलकाता पहुंचे थे। शनिवार सुबह उनकी नई फिल्म के ट्रेलर लॉन्च का कार्यक्रम लग्जरी होटल में था। यह कार्यक्रम पहले एक मल्टीप्लेक्स में आयोजित होने वाला था, लेकिन “राजनीतिक दबाव” के चलते आयोजन स्थल काे बदल दिया गया। सुबह तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, हॉल में भारी संख्या में पुलिसकर्मी पहुंची और ट्रेलर दिखाने के दौरान अचानक बिजली काट दी गई।
विवेक ने मंच से ही कहा कि बिना किसी कारण के कॉन्फ्रेंस रूम की बिजली काट दी गई। सुबह से भारी पुलिस बल यहां मौजूद थी। हम तो चोर-डाकू नहीं हैं, फिल्म बनाते हैं। सत्यजीत रे की धरती पर खड़े होकर ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा, कभी सोचा नहीं था। अगर यह तानाशाही नहीं तो और क्या है? अगर यह फासीवाद नहीं तो और क्या है? उन्होंने कहा कि अगर पुलिस मुझे गिरफ्तार करती है तो कर ले लेकिन मैं लड़ाई जारी रखूंगा। यही बंगाल है।
इस विवाद के बीच विवेक और पल्लवी जोशी से पत्रकार बात करना चाहते थे, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने उन्हें मीडिया से संवाद करने से भी रोक दिया। आखिरकार दोनों को होटल से सख्त सुरक्षा घेरे में बाहर ले जाया गया। विवेक ने साफ कहा – अगर मुझे गिरफ्तार भी कर लिया जाए तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यह सच है कि बंगाल में तानाशाही ताकतें काम कर रही हैं जो सच दिखाने से डरती हैं। यह है बंगाल! यहां सब कुछ इशारों पर होता है। सच दिखाने नहीं दिया जाता। हमें बिना किसी कारण परेशान किया गया। यह लोकतंत्र नहीं, सीधा-सीधा तानाशाही है।
वहीं, इस पूरे प्रकरण के बाद कोलकाता पुलिस या राज्य प्रशासन की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। दोपहर तक पुलिस अधिकारी इस मामले पर टिप्पणी करने से बचते रहे।