कोलकाता, 14 अगस्त । पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ से विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी। अधिकारी ने नौ अगस्त को राज्य सचिवालय ‘नवान्न अभियान’ (राज्य सचिवालय की ओर मार्च) में भाग लिया था, जिसके दौरान भारी हिंसा हुई। यह प्रदर्शन आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की जूनियर महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या की पहली बरसी पर आयोजित हुआ था।

राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के 2022 के आदेश के कारण अनुमति लेनी पड़ी। उस आदेश में कहा गया था कि शुभेंदु अधिकारी पर कोई भी एफआईआर दर्ज करने से पहले राज्य प्रशासन को अदालत से अनुमति लेनी होगी। इसी कारण सरकार ने जस्टिस जय सेनगुप्ता की एकल पीठ का दरवाजा खटखटाया।

सुनवाई के दौरान अधिकारी के वकील ने तर्क दिया कि जब यह संरक्षण सुप्रीम कोर्ट ने दिया है तो हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है। जस्टिस सेनगुप्ता ने यह दलील स्वीकार करते हुए कहा कि किसी “उचित अदालत” के नए निर्देश के बिना उनकी पीठ इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती।

नौ अगस्त को हुए ‘नवान्न अभियान’ में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। हिंसा के दौरान मृतक महिला डॉक्टर की मां ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीटा, जिससे उनकी कलाई पर पहनी पवित्र शंख-चूड़ी, जो बंगाल में विवाहित महिलाओं का प्रतीक मानी जाती है, टूट गई।

इसी दौरान झड़प में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने मंगलवार को भाजपा विधायक अशोक दिन्दा को तलब किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों को पीटने की धमकी दी थी। उन्हें 17 अगस्त को न्यू मार्केट थाने में उपस्थित होने के लिए कहा गया है।