
कोलकाता, 01 अगस्त। अब पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्यसाथी कार्ड धारकों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी जटिल और महंगी चिकित्सा सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी। राज्य सरकार ने इस संबंध में बड़ा निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि सरकारी अस्पतालों में यह इलाज बिना किसी शुल्क के किया जाएगा।
फिलहाल राज्य के नौ अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है, जिनमें से दो अस्पताल सरकारी हैं। पूर्व भारत में पहली बार 2009 में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इस चिकित्सा पद्धति की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 2011 में कोलकाता मेडिकल कॉलेज के हेमेटोलॉजी और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में भी यह सेवा शुरू की गई।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनआरएस अस्पताल प्रशासन की ओर से ही स्वास्थ्यसाथी योजना के तहत बोन मैरो ट्रांसप्लांट को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था। इस प्रस्ताव को अब औपचारिक रूप से स्वीकृति दे दी गई है।
एनआरएस अस्पताल के हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर तुफानकांति दलुई ने बताया कि सिर्फ उनके अस्पताल में ही 60 मरीजों का ट्रांसप्लांट किया जाना प्रस्तावित है। वहीं, ईस्टर्न इंडिया ब्लड मैरो एंड सेलुलर थैरेपी मीट के सचिव और कोलकाता मेडिकल कॉलेज के हेमेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव दे के अनुसार, थैलेसीमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, ब्लड कैंसर, लिम्फोमा और मायलोमा जैसी बीमारियों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट सबसे प्रभावी इलाज है।
डॉ. दे ने बताया कि निजी अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की लागत आठ लाख से 20 लाख तक होती है, जो आम लोगों के लिए बहुत बड़ी राशि है। ऐसे में स्वास्थ्यसाथी योजना के तहत यह सुविधा मिलने से हजारों परिवारों को राहत मिलेगी। खासकर थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों में अगर सात वर्ष की उम्र के भीतर ट्रांसप्लांट किया जाए, तो उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत तक होती है।
राज्य सरकार के इस फैसले को स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी पहल माना जा रहा है, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों को जीवनदायी इलाज पहुंच सकेगी।