
पश्चिम सिंहभूम, 20 जुलाई । पश्चिमी सिंहभूम जिले में इस साल धान की खेती पर मौसम की मार पड़ रही है। लगातार कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है, जिससे बिचड़े की रोपाई का कार्य काफी दिनों तक रुका रहा। हालांकि, अब बारिश के बीच थोड़ी राहत मिलने पर किसान तेजी से रोपाई कार्य में जुट गए हैं।
रविवार को किसानों ने बताया कि जैसे ही बारिश थमी, उन्होंने खेतों में धान की रोपाई शुरू कर दी है और इस अवसर का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। लेकिन कई जगहों पर भारी बारिश से नुकसान भी हुआ है। बिचड़े तैयार करने के लिए बनाई गई क्यारियां बह गईं, जिससे किसानों को दोबारा क्यारियां तैयार करनी पड़ीं।
कुछ गांवों में, जहां धान की छिंटाई की पद्धति से खेती होती है, वहां हालात और खराब हैं। किसानों ने बताया कि बीज अंकुरित होने से पहले ही पानी के बहाव में बह गए, जिससे उन्हें दोबारा बीज खरीदकर बोने की नौबत आ गई है।
इसके अलावा, निचले इलाकों में खेतों में जलजमाव के कारण कढ़ाई (निराई-गुड़ाई) का कार्य भी ठप पड़ा है। किसान अब पानी उतरने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि खेतों में काम शुरू कर सकें।
लगातार बारिश का असर केवल धान की खेती तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सब्जी की खेती पर भी पड़ा है। खेतों में सब्जियां सड़ रही हैं, जिससे बाजार में सब्जियों की आवक घट गई है और दाम बढ़ गए हैं।
किसानों का कहना है कि इस वर्ष अनियमित और अत्यधिक वर्षा के कारण खेती का कार्य समय पर शुरू नहीं हो सका, जिसका सीधा असर उनकी फसल की उपज और आमदनी पर पड़ेगा।
किसानों ने मांग की है कि इस वर्ष हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार लैंप्स के माध्यम से फसल बीमा योजना को लागू करे, ताकि किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में उन्हें कुछ राहत मिल सके।