कोलकाता, 18 जुलाई। पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज के अध्‍यक्ष हेमंत प्रभाकर एवं कार्यकारी महासचिव पूनम कौर ने एक बयान में कहा है कि असम में भाजपा की सरकार द्वारा बांग्‍लादेशी घुसपैठियों की पहचान के अभियान के बीच  बांग्ला भाषा बोलने वाले बंगालियों को बांग्लादेशी कहकर उन पर हमला किया जा रहा है। उन्हें घर से निकाला जा रहा है, उन्हें पीटा जा रहा है, उन्हें जेल में भेजा जा रहा है। यह भाजपा की विभाजन की राजनीति और सांप्रदायिकता की नीति है जो जाति- धर्म- भाषा के नाम पर लोगों को बाँटना चाहती है,ताकि भाजपा सरकार द्वारा ली गई जन विरोधी नीति के खिलाफ जनता लामबद्ध  ना हो पाए। कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी केंद्रीय सरकार से प्रश्न किया गया है कि पूरे देश में एक ही समय बांग्लाभाषियों को बांग्लादेशी नागरिक चिन्हित क्यों किया जा रहा है?क्या यह किसी बड़ी योजना के कार्यक्रम का हिस्सा है?

उल्‍लेखनीय है कि बांग्‍ला देश से निरंतर हो रही अवैध घुसपैठ चिंता का कारण बन गई है। असम में अवैध घुसपैठियों की पहचान करने के दौरान कुछ ऐसे मामले भी सामने आए जिनमे भारतीय बांग्‍ला भाषियों को बांग्‍लादेशी समझ लिया गया।

बयान में कहा गया है कि देश के संविधान ने सभी देशवासियों को पूरे देश में कहीं भी जाने,रहने और बसने का अधिकार दिया है।रोटी- रोजगार के लिए लोग एक जगह से दूसरी जगह, एक राज्य से दूसरे राज्य, एक देश से दूसरे देश जाते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार उन पर हमला करे और हमारे देश में ही हमारे देश के लोगों पर यह हमला अत्यंत निंदनीय है‌ । हम पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज की तरफ से असम में बांग्लाभाषियों पर हो रहे हमले के साथ-साथ महाराष्ट्र और कर्नाटक ,जहां हिंदीभाषियों  पर हमले हुए हैं ,की कड़ी निंदा करते हैं और  सरकार द्वारा भाषा संबंधित हमलों  को बंद करने की मांग करते हैं ।  भाजपा सरकार के रवैए के खिलाफ समस्त जनता को एक होने की अपील करते हैं।